हरियाणा हिसार

पुण्यतिथि विशेष : चौ.भजनलाल और आदमपुर


आदमपुर

3 जून 2011 को प्रदेश ने जहां चौ.भजनलाल के रुप में एक सशक्त और मिलनसार नेता को खो दिया, वहीं आदमपुर ने अपने अस्तित्व निर्माता को खो दिया। चौ.भजनलाल ने आदमपुर को अनेक गौरव प्रदान किए। एशिया का सबसे समृद्ध गांव बनाया। पूरे एशिया में शायद ही कोई ऐसा गांव मिलेगा—जहां पर सिवरेज, पानी,अपग्रेडिड स्कूल, कॉलेज, पोलिटेकनीक, फार्मेसी, होटल मैनेजमेंट, आईटीआई, जेबीटी, माडल टाउन, अनाज मंडी, सब्जी मंडी, एडीशनल मंडी,कपड़ा मार्केट, तहसील, आधुनिक बस अड्डा, 100 बिस्तर का अस्पताल, कृषि विज्ञान केंद्र से लेकर सभी प्रकार की सुविधा हो। लेकिन चौ.भजनलाल ने ये सब आदमपुर में 90 के दशक में उपलब्ध करवा दिया था। चौ.भजनलाल की दूरदर्शिता के चलते आज प्रदेश की उन्नत अनाज मंडियों में आदमपुर का नाम आता है।
आदमपुर की आज की विशेष खबर

आदमपुर और चौ.भजनलाल के किस्से
वैसे से तो चौ.भजनलाल के आदमपुर में हजारों किस्से वर्षों से सुनाए जाते है, इनमें कितने सच्चे है और कितने दंत किस्से है—ये तो पुराने जमाने वाले जाने लेकिन ये किस्से आज भी चाव के साथ सुनाए जाते है। कुछ किस्सों का वर्णन आज यहां किया जा रहा है।
1— सूबे में मुखिया के रुप में चौ.भजनलाल विराजमान थे। महेंद्रगढ़ की तरफ के एक अधिकारी का तबादला मेवात हो गया। आदमपुर में महेंद्रगढ़ एरिया के बहुत से मुनिम अनाज मंडी में काफी सालों से काम कर रहे है। ऐसे में उक्त अफसर के एक परिचित ने बदली रुकवाने के लिए चौ.पोकरमल से मिले और अफसर के बिमार पत्नी का हवाला देते हुए तबादला रुकवाने की अर्जी दी। चौ. पोकरमल ने तुरंत बदली रोकने कम आश्वासन देते हुए हेडक्वार्टर पर जाकर अपनी पर्ची देने को बोला। अफसर हेड क्वार्टर पर गया और चौ.पोकरमल की पर्ची दी तो हेडक्वार्टर पर नियुक्त उच्चाधिकारी काफी परेशानी में पड़ गया। क्योंकि अफसर की बदली के आॅर्डर सीएम हाउस से आए थे और रुकवाने के आॅर्डर आदमपुर से आए थे—ऐसे में क्या किया जाए??? शाम को मामला स्वयं चौ.भजनलाल के पास पहुंच गया। चौ.भजनलाल ने तबादला रुकवाने की पर्ची को देखा तो बोले— मेरे आदेश रहने दो, आदमपुर वाली पर्ची की मानो। कहा जाता है कि अफसर का तबादला तुरंत रुक गया। इसके बाद हरियाणा की अफसरशाही में प्रसिद्ध हो गया कि चौ.भजनलाल तो प्रदेश के सीएम है लेकिन आदमपुर का प्रत्येक वाशिंदा सुपर सीएम है।
फिर बढ़ा आदमपुर का गौरव

2—चौ. भजनलाल के बारे में मीठा प्रेम का किस्सा भी प्रसिद्ध है। चौ.भजनलाल को आदमपुर में बनने वाली देशी घी की जलेबी और लड्डू काफी पसंद थे। उनके यहां कोई भी आता तो वे लड्डू, जलेबी और मोटी भुजिया जरुर खिलाते। राजीव गांधी आदमपुर में कॉलेज का शुभारंभ करने आए तो उन्हें भी लड्डू, जलेबी और मोटी भुजिया खिलाई गई और साथ भी ये मिठाई बांध दी। राजीव गांधी ने जब ये मिठाई इंदिरा गांधी को खिलाई तो वे इस कदर दिवानी हुई कि इसके बाद चौ.भजनलाल से कई बार आदमपुर से ये मिठाई मंगवाई। आदमपुर में आज भी परंपरा है कि बाहर से आने वाले मेहमान को जलेबी और मोटी भुजिया जरुर खिलाई जाती है।
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3— एक बार आदमपुर में एक परिवार चौ. भजनलाल से काफी खफा था। हर समय उनकी आलोचना में लगे रहता था परिवार। परिवार की प्रत्येक आलोचना चौ.भजनलाल तक पहुंच जाया करती। एक बार हंसमुख स्वभाव के धनी चौ.रामरिध काकड़ सीएम चौ.भजनलाल के पास बैठे थे और उस परिवार का ​मामला समाने आ गया। चौ.भजनलाल बोले—ये परिवार बड़ी आलोचना करता है मेरी, और सुना है मेरे लिए हमेशा अभद्र भाषा का भी प्रयोग करते है। पास बैठे चौ.रामरिध काकड़ बोले कि—हां, आलोचना और अभद्र भाषा का प्रयोग तो ये परिवार करता है लेकिन दोनों चीज करते है फिल्टर करके। सुनते ही सबको हंसी आ गई। और इसके बाद चौ.भजनलाल सभी को साथ लेकर उक्त परिवार के घर पहुंच गए। चाय—पानी के दौर के दौरान परिवार का मुखिया बोला, सीएम साहब! हम से सदा आपकी आलोचना करते है और कभी—कभी तो अभद्र भाषा तक का प्रयोग कर देते है फिर आप हमारे घर क्यों आए??? चौ. भजनलाल ने मुस्कराते हुए कहा कि मेरी आलोचना करने और अभद्र भाषा बोलने से आपको कुछ हांसिल हुआ??? मुखिया ने ना में गर्दन हिला दी। ​इस पर चौ.भजनलाल बोले, ना तुम्हें कुछ मिला और मेरा कुछ घटा तो फिर क्यों एक—दूसरे से नराजगी रहे। इसके बाद वह परिवार चौ.भजनलाल के विश्वासपात्रों में शामिल हो गया।

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