चंड़ीगढ़,
आजादी से पहले का पंजाब विधानसभा का रिकॉर्ड आखिरकार वापस भारत आ ही गया। यह रिकॉर्ड विभाजन के पहले 1931 से लेकर 1947 के वक्त का है। इस रिकॉर्ड में सदन में हुई बहस, बंटवारे से जुड़े प्रस्ताव और बजट जैसी चीजों का रिकॉर्ड है।
यह रिकॉर्ड इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी देने के बाद के वो बयान शामिल हैं, जो उस वक्त सदन में नेताओं ने दिए थे। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने पाकिस्तान से आए रिकॉर्ड को पंजाब के स्पीकर राणा केपी सिंह को सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि इस रिकॉर्ड की एक कॉपी हरियाणा विधानसभा को भी दी जाएगी। ऐसा इसीलिए क्योंकि उस वक्त हरियाणा संयुक्त पंजाब विधानसभा का हिस्सा था।
मनप्रीत बादल ने बताया कि उन्हें पुरानी डिबेट्स पढने का शौक था तभी उन्हें पता लगा कि पंजाब विधानसभा में केवल 1947 तक के ही रिकॉर्ड मौजूद है। जिसके बाद उन्होंने रिकॉर्ड वापस लाने की पहल की और कामयाब भी हुए। इन रिकॉर्ड को लाहौर से पंजाब लाने में करीब बीस साल लग गए। पहले पाकिस्तान ने ये रिकॉर्ड देने से मना कर दिया था। पाकिस्तानी अफसरों का कहना था कि रिकॉर्ड आग लगने के कारण जल गए इसीलिए इसकी केवल एक ही कॉपी मौजूद है, जिसे हम भारत को नहीं दे सकते। हालांकि, बाद में पाक राजी हो गया और रिकॉर्ड की दूसरी कॉपी कर इसे लाहौर से पंजाब भेजा गया। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
इस रिकॉर्ड में कई दिलचस्प बहस दर्ज है। इनमें से सबसे चर्चित बहस उस वक्त के मुख्यमंत्री खिजर हयात खान की है। जिन्होंने विधानसभा में भारत पाकिस्तान बंटवारे के वक्त यह कहा कि पाक उनकी लाश पर बनेगा। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
इसके अलावा मुस्लिम लीग पार्टी जो बंटवारे के वक्त यह चाहती थी कि पाकिस्तान बने, उनके केवल दो ही मेंबर विधानसभा में थे। वहीं, रिकॉर्ड में चार क्रिश्चन विधायकों का भी जिक्र है, जो बंटवारे के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए।
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