धर्म

ओशो : इंसान और कुत्ता

मनुष्य का जीवन मिला और पुण्य का पता न चला, तो सार क्या है? जो तुम कर रहे हो ,वह तो पशु भी कर लेते है,पशु भी कर रहे हैं। इसमें तुम्हें भेद क्या है? तुम अपनी जिदंगी को कभी बैठ कर जांचना, तुम जो कर रहे हो,इसमें और पशु करने में भेद क्या है? तुम रोटी-रोजी कमा लेते हो, तो तुम सोचते हो कि पशु नहीं कर रहे? तुम ज्यादा बेहतर ढंग से कर रहे हैं, मजे से कर रहे हैं। तुम बच्चे पैदा कर लेते हो, तुम सोचते हो कि कोई बहुत बड़ा काम कर रहे हो। इस देश में ऐसे ही समझते हैं लोग। बड़े अकडक़र कहते हैं कि मेरे बारह लडक़े हैं। संख्या का हिसाब ही नहीं है। जैसे कोई बहुत बड़ा काम कर रहे हो। अरे बेटे कौन-सा मसाला है बड़ा? और मुसीबत बड़ा दो दुनिया की। एक बारह उपद्रवी और पैदा कर दिये। ये घिराव करेंगे,, हड़ताल करेंगे, और झंझट खड़ी करेंगे। लेकिन लोग सोचते है कि बच्चे पैदा कर दिये तो बड़ा काम कर दिया, मकान बना लिया तो बड़ा काम कर दिया। पशु-पक्षी कितने प्यारे घोंसले बना रहे हैं। उनके लायक पर्याप्त हैं। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
तुम जरा सोचना। क्रोध है, काम है, लोभ है, मद है, मत्सर, सब पशुओं में । फिर तुम में मनुष्य होने से भेद क्या है? तो एक ही बात की बात कह रहे हैं। धरमदास कि पुण्य का स्वाद हो, तो तुम मनुष्य हो, तो मनुष्य होने में कुछ भेद पड़ा। इसे खयाल रखना।
अरस्तु ने कहा: आदमी का भेद यह है कि आदमी में बुद्धि है, विचार है। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
हम यह नहीं कहतें, क्योंकि विचार तो पशुओं में भी है, थोड़ा कम होगा, मात्रा कम होगी,मगर विचार है। तुम्हारा कुत्ता भी विचार करता है। जब तुम आते हो तो पूंछ हिलाता है। तुम उसे मार भी दो तो भी पूंछ हिलाता है। बड़ा राजनीतिज्ञ है, होशियार है। कूटनीति जानता है कि पूंछ तो हिलानी ही चाहिए। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

और कभी-कभी तुमने कुत्ते को देखा, वह संदिग्ध भी होता है कभी-कभी, तो भौंकता भी है, पुंछ भी हिलाता है। दुविधा में है कि मतलब करना क्या? इस वक्त ठीक करना क्या? तो दोनों ही काम कर रहा है कि फिर जो ठीक होगा, वह चलने देंगे,जो ठीक नहीं होगा, वह बंद कर लेंगे। अजनबी आदमी आता है तो भौंकता है। देखता है, मालिक की तरफ कि मालिक क्या कहता है। पूंछ भी हिलाता है अगर मालिक प्रेम से बुलाता है अजनबी को, हाथ हिलाता है, भौंकना बंद कर देता है। पूंछ हिलाता रहता है7 अगर मालिक हाथ नहीं जोड़ता, नमस्कार नहीं करता, पूुछ हिलाना बंद हो जाती है, भौंकना शुरू हो जाता है। कुत्ता भी सोच रहा है, हिसाब लगा रहा है। चमचागिरी कुत्तों से ही नेताओं ने और नेताओं के चमचों ने सीखी हैं।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—524

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—322

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—38

Jeewan Aadhar Editor Desk