धर्म

स्वामी राजदास : सहनशक्ति का राज

एक संत के जीवन में बहुत कष्ट आए पर उसके मन में कभी क्रोध नहीं आया। लोग उसे गालियां देते, पर वह हंसता रहता। एक बार किसी ने उससे पूछा, ‘आप में इतनी सहनशक्ति कहां से आई?’ जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
संत ने जवाब दिया, ‘जब मैं ऊपर देखता हूं तो सोचता हूं कि मुझे वहां भी जाना है, फिर मैं यहां के लोगों के व्यवहार से अपना मन क्यों खराब करूं। नीचे नजर डालता हूं तो सोचता हूं कि मुझे सोने, उठने-बैठने के लिए जमीन ही कितनी चाहिए। आसपास देखता हूं तो मन में आता है कि मुझसे अधिक कष्ट भोगने वाले भी बहुत हैं। बस इन्हीं विचारों को लेकर मेरा मन-मस्तिष्क शीतल हो जाता है और किसी भी तरह की मुश्किल से व्यथित नहीं होता।’ नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, ‘जिस विध राखे राज श्यामा, ताके विध रहिए’ का भाव अपने अंदर पैदा करने वालों को संसारिक वस्तुएं कभी भी कष्ट नहीं पहुंचा सकती। इसलिए अपनी जीवन की लीला प्रभु के हाथ में सौंप दो और खुद आनंद से जीवन व्यतीत करो।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

स्वामी सदानंद के प्रवचनों से—246

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—30

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—331