हिसार

चौ. मित्रसेन आर्य ने मानवता व कर्मयोग की नींव रखकर समाज को दी नई दिशा : डॉ. चंद्रा

हिसार,
राज्यसभा सांसद डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा कि चौ. मित्रसेन आर्य जैसी महान आत्माएं यदा-कदा ही धरा पर जन्म लेती हैं। वे मानवता व कर्मयोग की नींव रखकर समाज को नई दिशा दे गए। इन्हीं दो सिद्धांतों के सहारे उन्होंने जीवन पर्यन्त जनसेवा का कार्य किया। उनके प्रति हमारी यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम उनके इन्हीं सिद्धांतों पर चलकर आदर्श समाज का निर्माण करें। डॉ. चंद्रा आज सेक्टर 16-17 स्थित इंडस पब्लिक स्कूल के प्रांगण में चौ. मित्रसेन आर्य के 86वीं जयंती पर आयोजित भजन संध्या में बतौर मुख्यातिथि उपस्थितजन को संबोधित कर रहे थे। वित्त एवं राजस्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु व कैप्टन रुद्रसेन सहित सिंधु परिवार के अन्य सदस्यों ने समारोह की मेजबानी की। इस दौरान विख्यात भजन गायक कुमार विशु ने भावपूर्ण भजन सुनाकर उपस्थितजन को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने चौ. मित्रसेन आर्य से जुड़े अनेक संस्मरण सुनाए। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा कि आर्य समाज के पथिक चौ. मित्रसेन आर्य ने समाज व देश को जो दिया, वैसा यदि हर व्यक्ति देने की कोशिश करे तो देश में रामराज्य की कल्पना को साकार किया जा सकता है। उन्होंने चौ. मित्रसेन आर्य के साथ पारिवारिक संबंध बताते हुए उनसे जुड़े अनेक संस्मरण सुनाए। विशिष्ट अतिथि विधायक डॉ. कमल गुप्ता ने कहा कि चौ. मित्रसेन आर्य ने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और शिक्षा विशेषकर लड़कियों की शिक्षा के नए दरवाजे खोले। उन्होंने जहां जगह-जगह शिक्षण संस्थानों की स्थापना करवाई वहीं अपने गांव में भी लड़कियों के लिए स्कूल खुलवाए। वे शिक्षा के लिए लड़कियों को दूर भेजने में आने वाली कठिनाइयों से वाकिफ थे और उनकी शिक्षा के पक्षधर थे।

इंडस गु्रप के चेयरमैन कैप्टन रुद्रसेन ने बताया कि हिसार से हमारे परिवार का नाता उतना ही पुराना है जितना पुराना हिसार का इतिहास है। हमारे दादाजी हमें आल्हा सुनाते थे और इनके माध्यम से बीकानेर, झुंझनू और हिसार जैसे ऐतिहासिक शहरों के निर्माण की कहानियां सुनाते थे। उन्होंने बताया कि पिता मित्रसेन आर्य ने विशेष प्रयास करके 1982 में गांव में लड़कियों का स्कूल बनवाया। उन्होंने कहा कि आज हमें बहुत से लोग मिलते हैं जो पिताजी के जीवन के उन पहलुओं के बारे में बताते हैं जिनके बारे में हमें भी नहीं पता। पिता मित्रसेन आर्य कहते थे कि जिस काम को करने से सबका भला होता हो और किसी का अहित न होता हो वही धर्म है। उन्होंने हर कार्य और जीवन के गूढ़ रहस्य की हमें सरल परिभाषा बताई और आज मैं जो भी कार्य करता हूं, उन्हीं के बताए सिद्धांतों को अपनाकर करता हूं।पार्ट टाइम नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।

आरएसएस के मेजर करतार सिंह ने बताया कि आज पूरे देश में 300 स्थानों पर चौ. मित्रसेन आर्य की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। उन्होंने देश में जगह-जगह गुरुकुलों व आश्रमों की स्थापना की। उन्होंने बताया कि चौ. मित्रसेन आर्य कैप्टन अभिमन्यु को राजनीति में भेजने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि वे राजनीति को अच्छा नहीं समझते थे। लेकिन जब उन्हें समझाया गया कि राजनीति में ईमानदार, निष्ठावान व समर्पित लोगों की बहुत जरूरत है। तो वे कैप्टन अभिमन्यु को राजनीति में भेजने के लिए तैयार हुए।
सुभाष मेहरिया ने बताया कि चौ. मित्रसेन आर्य बाल्यावस्था से ही परिश्रमी रहे और उद्यमी के रूप में उन्होंने जो शुरुआत की उसी के आधार पर आज यह एम्पायर खड़ा है, इसका आधार भी उनकी नेक नीयत व समाज सेवा की सच्ची भावना है। उन्होंने कहा कि समाज के हर क्षेत्र में उनके मित्रों की फौज खड़ी हो गई। उन्होंने अपने पुत्रों को देश की रक्षा हेतु देश की सेनाओं में भेजने का अद्भुत निर्णय लिया और उन्हें सुसंस्कार दिए। उन्होंने दूसरों के दुख को अपना समझकर हमेशा उन्हें दूर करने का प्रयास किया।

चौ. मित्रसेन आर्य के पुराने मित्र दरियाव सिंह उनके बारे में बताते हुए भावुक हो उठे और रुंधे गले से कुछ संस्मरण सुनाए। कैप्टन टीकाराम ने चौ. मित्रसेन आर्य को पगड़ी वाले उद्योगपति बताते हुए उन्हें बहुत बड़े दानवीर की संज्ञा दी। उन्होंने उनके दान से जुड़ी अनेक कहानियां सुनाई। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सीताराम ब्यास ने मित्र की परिभाषा बताते हुए चौ. मित्रसेन आर्य को इस परिभाषा पर खरा बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने समाज कल्याण की भावना के चलते ही निर्जन स्थानों पर गुरुकुल शुरू किए। उनके ह्दय में देश व समाज के प्रति ममत्व का भाव था। उनमें लेशमात्र भी अहंकार नहीं था और वे ज्ञान, चरित्र व विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे।
इस दौरान विख्यात भजन गायक कुमार विशु ने भावपूर्ण भजन सुनाकर उपस्थितजन को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने बन ना सको भगवान अगर तुम तो कम से कम इनसान बनो, ना मांगूं मैं हीरे-मोती, ना चाहूं मैं सोना, मैं तो मांगूं प्रभु तेरे चरणों में एक छोटा सा कोना तथा काम चले न चांदी से काम चले न सोने से, अब तो काम चले मेरा मेरे प्रभु के दर्शन होने से जैसे मधुर भजन सुनाकर हर व्यक्ति को झूमने पर मजबूर कर दिया। इंडस स्कूल के विद्यार्थियों ने भी गणेश वंदना, चौ. मित्रसेन पर आधारित गीत व भजन सुनाए। इस अवसर पर कैप्टन अभिमन्यु ने चौ. मित्रसेन आर्य के जीवन पर आधारित सीडी व जीवनी का विमोचन किया।जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार

इस अवसर पर इंडस स्कूल की चेयरपर्सन डॉ. एकता सिंधु, सरोज सिंधु, मेजर सत्यपाल सिंधु, अनिका सिंधु, देव सुमन, रचना सिंधु, एचपीएससी सदस्य कुलबीर छिकारा, अजय सिंधु, चेयरमैन जोगीराम सिहाग, ब्रह्मदेव स्याहड़वा, शशी कुमार ढाका, रामचंद्र जांगड़ा, प्रो. मंदीप मलिक, प्रो. छत्तरपाल सिंह, रवि सैनी, नगर निगम आयुक्त अशोक बंसल, हुडा ईओ सुमित कुमार, सत्यपाल श्योराण, भाजपा जिला महामंत्री सुजीत कुमार, आशा रानी खेदड़, गायत्री यादव, सीमा गैबीपुर, कृष्ण बिश्रोई, केएल रिणवा, सतपाल मल्हान, डीआरओ राजेंद्र सिंह, घोलू गुर्जर, एडवोकेट कृष्ण खटाना, सुनीता रेड्डू, प्रविंद्र लोहान, अनिता मलिक, कर्णसिंह रानौलिया, सुभाष मेहरिया, डीटीसी सतबीर सिवाच, हरेराम मिश्रा व सेठ जुगल किशोर, भाजपा पदाधिकारी, कार्यकताओं सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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