हिसार

जनवादी लेखक संघ की पुलवामा शहीदों व किसान आंदोलन को समर्पित की काव्य गोष्ठी

कृषि कानूनों पर जनता व सरकार के बीच अविश्वसनीयता बढ़ी : रोहताश

हिसार,
जनवादी लेखक संघ की ओर से मासिक काव्य गोष्ठी टाउन पार्क में की गई। इसकी अध्यक्षता जयभगवान लाडवाल ने की जबकि सरदानंद राजली ने संचाालन किया। गोष्ठी में संघ के महासचिव मास्टर रोहतास व अर्थशास्त्री एवं कानूनविद्ध डॉ. अर्जुन सिंह राणा मुख्य अतिथि थे। काव्य गोष्ठी पुलवामा के शहीदों और किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को समर्पित की गई।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए मास्टर रोहतास ने कहा कि रचनाकारों को सच को सच कहने की हिम्मत इस समय करनी होगी। पुलवामा हमले का सच किसान आंदोलन के चलते जनता के सामने उजागर हो चुका है। पुलवामा में जवान शहीद नहीं हुए बल्कि उनकी मोदी सरकार द्वारा हत्या की गई है। किसान आंदोलन में जो आंदोलनकारी शहीद हुए हैं उसे सरकार शहीद मानने को तैयार नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा तीन कृषि कानून को सही ठहराने से जनता और सत्ता के बीच अविश्वसनियता बढ़ी है। सरकार को चंद पूंजीपतियों की बजाए जनता के मन की बात सुननी चाहिए और हल करना चाहिए।
शिक्षाविद संजय सागर अपने जोशिले और चिरपरिचित अंदाज में यूं सुनाया कि ‘प्रजा दर पर है, उन्हे प्यार दो राजन, अपने हठ का परदा, उतार दो राजन। नवोदित कवि दीपक परमार ने किसान का दर्द बयां करते हुए कहा कि ‘हल चला के दिन रात कमाके जो पेट भरे इंसान का, यो किस्सा सै उस किसान का, जिसने दर्जा दे सै भगवान का’। कवि सरदानंद राजली ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि ‘ये लड़ाई पेट और खेत बचाने की है, वो कील लगाएंगे हम फसल उगाएंगे’। वरिष्ठ कवि ऋषि सक्सेना ने कहा कि ‘कस ली है जब कमर अंदाजे बयां क्यों, हक की है लड़ाई फिर गुनाह क्यों’ वरिष्ठ कवि वीरेंद्र कौशल ने दिल का दर्द बयां करते हुए कहा कि ‘दिल का बस धड़कना बहुत जरूरी उसका फड़कना माना जरूरी दिल का धड़कना विपरीत हालात में कड़कना’ कवि ऋषिकेश राजली ने देश के हालात पर कहा कि ‘देश बढ़ रहा है, हम बढ़ रहे हैं, हमारे सवाल बढ़ रहे हैं, बस घट रहा है तो मान—सम्मान, एकता और इंसानियत’। मास्टर कृष्ण कुमार इंदौरा ने कहा कि सियासत में संस्कार नहीं, अहंकार जरूरी है, जनता मूर्ख बाद में पहले सरकार जरूरी है। वरिष्ठ कवि शुभकरण गौड़ ने अपनी रचना यूं सुनाई-हमने देश को पाला तुम ने देश को संभाला इन नेताओं का इनका धन भी काला और दिल भी काला। वेलेंटाइन डे पर वरिष्ठ कवि जयभगवान लाडवाल ने कहा कि ‘वेलेंटाइन डे पर वे एक लड़की को फूल देने लगते, लड़की ने डर से कहा अंकल जी नमस्ते।’
आज कि काव्यगोष्ठी में संजय सागर, दीपक परमार, मास्टर कृष्ण इंदौरा, विरेंद्र कौशल, ऋषि सक्सेना, जयभगवान लाडवाल, डाक्टर अर्जुन सिंह राणा, मास्टर रोहतास, रानी, ऋषिकेश राजली, बेगराज, शुभकरण गौड़, सुमन, सलमा, कविता, पूनम आदि रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

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