बंशीधर,
प्रदेश की भाजपा सरकार पाखंड रचने में माहिर है, ये कोई और नहीं बल्कि सरकार की कार्यप्रणाली कह रही है। चिंतन—मंथन करने के लिए भाजपा सरकार के मुखिया मनोहर लाल सहित पूरा मंत्री मंडल और अधिकारीगण दो वोल्वो बस में सवार होकर चंडीगढ़ से टिम्बरट्रेल गए थे। जाते समय बस में सवार सरकार की सादगी के चर्चे भाजपाईयों ने खूब किए। मुख्यमंत्री ने दो—तीन पोज देकर फोटो भी खिंचवाए। उन्होंने चिंतन शिविर में जाने के लिए निजी वाहनों को लेकर जाने पर रोक लगाने के निर्देश भी जारी किए। समाचार पत्रों में सरकार की बस सवारी से लेकर कथित सदगी की खबरें भी छपी।
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लेकिन सरकार की ये सादगी ज्याद समय तक नहीं चल पाई। महज ढ़ाई दिन में ही सादगी छू—मंतर हो गई। शिविर समाप्त होने के बाद सीएम, उनका मंत्रीमंडल और अधिकारीगण बसों के स्थान पर अपनी गाड़ियों में सवार होकर एक भारी—भरकम काफिले के साथ लौटे। ‘सादगी पसंद’ सीएम के काफिले में करीब 60 गाड़िया थी। काफिले में वोल्वो बस भी थी। लेकिन उसमें चालक—परिचालक के अलावा केवल एक आईएएस दंपति ही सफर कर रहे थे।
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मनोहर सरकार की इस शाही सवारी ने साफ कर दिया कि आडंबर रचने और जनता का पैसा अपनी मौज—मस्ती में बर्वाद करना कोई इन ‘सादगी पूर्ण’ नेताओं से सीखे। यदि वोल्वो की सवारी सरकार को पसंद नहीं आई तो वापसी में उन्हें चंडीगढ़ से टिम्बरट्रेल बुलाने की क्या जरुरत थी? क्यों इन बसों का समय और तेल सरकार ने खराब किया? इसका जवाब मनोहर सरकार के पास नहीं होगा—लेकिन जनता सब जानती और समझती है। समय आने पर वो ‘सादगीपूर्ण’यात्रा का हिसाब भी इनसे मांगेगी।
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