धर्म

स्वामी राजदास : यकीन

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एक दिन मुल्ला का एक दोस्त उससे एक-दो दिन के लिए मुल्ला का गधा मांगने के लिए आया। मुल्ला अपने दोस्त को बेहतर जानता था और उसे गधा नहीं देना चाहता था। मुल्ला ने अपने दोस्त से यह बहाना बनाया कि उसका गधा कोई और मांगकर ले गया है। ठीक उसी समय घर के पिछवाड़े में बंधा हुआ मुल्ला का गधा रेंकने लगा।
गधे के रेंकने की आवाज़ सुनकर दोस्त ने मुल्ला पर झूठ बोलने की तोहमत लगा दी।
मुल्ला ने दोस्त से कहा – “मैं तुमसे बात नहीं करना चाहता क्योंकि तुम्हें मेरे से ज्यादा एक गधे के बोलने पर यकीन है।”
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, मुल्ला जैसे लोगों से दुनियां भरी पड़ी है। जो झूठ बोलकर दूसरों को ठगते है—लेकिन उनका झूठ समाने आता है तो वे तरह—तरह बात बनाकर उसे छिपाने की कोशिश करते है। ऐसे लोग स्वयं को तो धोखा देते ही है, साथ में समाज में रहने लायक भी नहीं होते।
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Jeewan Aadhar Editor Desk