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भूख से तड़फ—तड़फ कर मर गई उत्तम की मम्मी

गढ़वा,
इंसानियत को झकझोर कर रखने वाली घटना झारखंड के कोरता गांव में देखने को मिली। यहां पर एक महिला ने भूख से तड़फ—तड़फ कर प्राण त्याग दिए। उसका 13 साल का बेबस बेटा उत्तम भूख से मरती मां को देखता रहा। वह बार—बार राशन डिपो पर राशन लेने गया, लेकिन उसे एक भी दाना नहीं मिला। रोते हुए उत्तम ने बताया वह 29 नवम्बर को राशन लेने डिपो पर गया था। डिपो होल्डर ने उससे अंगूठा लगवा लिया और 2 दिसंबर को राशन ले जाने को बोला, लेकिन 1 दिसंबर को उसकी मां ने भूख से दम तोड़ दिया। वहीं प्रशासन इसे भूख से मौत मानने को तैयार नहीं है।
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गढ़वा की उपायुक्त (डीसी) नेहा अरोड़ा

प्रशासन का तर्क है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके शरीर में भोजन का अंश मिला है और इस कारण यह भूख से मौत नहीं हो सकती। गढ़वा की उपायुक्त (डीसी) नेहा अरोड़ा ने बताया कि हमारी जांच अभी जारी है। शुरुआती तौर पर हमें कुछ जानकारियां मिली हैं, जिससे साबित होता है कि प्रेमनी कुंवर की मौत भूख से नहीं हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि उनके पेट में फूड ग्रेन्स (अन्न के दाने) मिले हैं। जबकि 13 वर्ष के मासूम उत्तम का कहना है कि मृतका प्रेमनी कुंवर के घर खाना बने काफी समय बीत चुका है। ऐसे में जीवन से संघर्ष करते हुए उसके प्राण निकले है। उसके बेटे उत्तम ने बताया कि पिछले एक महीने से घर में कुछ भी नहीं बना। खाने को एक दाना भी नहीं है। उसकी मम्मी काफी कमजोर हो चुकी थी। वो चल भी नहीं पा रही थी। ऐसे में भूख के कारण वो चल बसी।
प्रेमनी कुंवर के बेटे उत्तम महतो

उत्तम के सौतेले भाई, उनकी पत्नियां और बच्चों सहित करीब एक दर्जन लोग एक साथ ही मिट्टी की झोपड़ी में रहते हैं। सबका कहना है कि उत्तम की मां की मौत भूख से हुई है। उन्होंने कहा कि उनके पास भी राशन नाममात्र होता है, ऐसे में वे भी आधे भूखे रहकर जी रहे है।
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गरीबी और पूरी तरह से सरकारी राशन पर निर्भरता कोरता क्षेत्र की एक कड़वी सच्चाई है। यहां से 60 फीसदी पुरुष नौकरी की तलाश में पलायन कर चुके हैं। स्थानीय एनजीओ राइट टु फूड कैम्पेन के मुताबिक राशन नहीं मिलने और 600 रुपये विधवा पेंशन किसी और खाते में स्थानांतरित होने के कारण कुंवर की मौत हुई है। हालांकि प्रशासन ने इस बात से इनकार कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि कुंवर की मौत की वजह भूख नहीं है। रही विधवा पेंशन की बात तो वह उनके द्वारा ही संचालित दूसरे खाते में भेज रहे थे, जिसमें अब भी पैसे हैं।
रिकॉर्ड बताते हैं कि कुंवर दो विधवा पेंशन खाते चला रही थीं। एक उसके नाम से और दूसरा पति की पहली पत्नी शांति देवी के नाम से है।
जांच के दौरान एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया, 25 साल पहले मर चुकी शांति देवी के अंगूठे का प्रयोग कर उसके खाते से पिछले महीने ही 30 हजार रुपये निकाले गए हैं। वहीं दूसरा खाता 2007 में खोला गया। इस खाते को खुलवाने में कुंवर के सौतेले बेटे ने सहयोग किया था। हालांकि बाद में धोखाधड़ी के आरोप में पुलिस ने पिछले 13 दिसंबर को सौतेले बेटे को गिरफ्तार कर लिया।
ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर ऐसे क्षेत्रों में जहां बड़े पैमाने पर लोग अशिक्षित हैं और दूसरों पर निर्भर हैं, प्रशासन इस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए सख्त कदम क्यों नहीं उठाता? कुंवर के मामले में भी यही देखने को मिला है। कुंवर की मौत के बाद पूरी जांच सिर्फ राशन दुकान तक सीमित कर दी गई है। कार्रवाई भी सिर्फ राशन डीलर पर की गई है। उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया।
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