हिसार

निजी अस्पतालों में ओपीडी रही बंद, लोगों ने विरोध के तरीके को बताया गलत

फतेहाबाद/ हिसार (साहिल रुखाया/ मंजू पूनियां)
निजी अस्पतालों में डॉक्टरों ने आई.एम.ए. के आह्वान पर नैशनल मैडीकल काऊंसिल बिल के विरोध में आज सुबह 6 बजे से ओ.पी.डी. बंद रखी। साथ ही ऐलान किया कि शाम 6 बजे तक सभी ओ.पी.डी. सम्बधित स्वास्थ्य सेवाएं बंद रहेंगी, लेकिन एमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी।
वहीं डाक्टरों के अस्पताल को बंद करके विरोध जताने के तरीके को लोगों ने काफी चिंताजनक बताया है। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंध बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
नीरज सैनी ने कहा कि अगर डॉक्टरों को विरोध ही जताना है तो वे 1 या 2 घंटे के लिए रोष जता सकते हैं। डाक्टर को लोेगों ने ईश्वर के समकक्ष दर्जा दे रखा है, समाज में उनकी काफी इज्जत होती है—लेकिन अगर वे इस प्रकार से विरोध जातने लगेंगे तो आमजन और उनमें फर्क क्या रह जायेगा।
वहीं रमेश खिचड़ ने कहा कि डाक्टरों की हड़ताल किसी भी नजरिए से ठीक नहीं है। डाक्टर कोई बिजनेसमेन नहीं है और ना ही अस्पताल कोई व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र होता है। डाक्टर होने का अर्थ स्वयं को जनसेवा के समर्पित करना होता है और अस्पताल सेवा का केंद्र। ऐसे में डाक्टर को हड़ताल के स्थान पर विरोध का दूसरा कोई तरीका अपनाना चाहिए।
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उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार आज BAMS (बैचलर अॉफ आयुर्वैदिक मेडिसन एंड सर्जरी) डॉक्टरों को 6 महीने का कोर्स करने के बाद एलोपैथिक दवाइयां प्रयोग करने के बिल को राज्य सभा में पास करने जा रही है। इस बिल के विरोध में डॉक्टरों ने अोडीपी बंद कर जिला सचिवालय पहुंचकर प्रधानमंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा। डॉक्टर्स ने विरोध किया कि जो डॉक्टर 5 साल एसबीबीएस कोर्स करके एलोपैथिक दवाइयां प्रयोग करते हैं, वहीं BAMS डॉक्टर्स 6 महीने का कोर्स करके इन दवाइयों का प्रयोग कैसे कर सकते हैं।
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