गुड़गांव
सरकार कहती है कि बेटी बचाओ…लेकिन ऐसे प्रदेश में बेटी को बचाकर करे क्या??? जहां सरकार का हैवानों पर कोई कंट्रोल नहीं। हम बात कर रहे है हरियाणा की…जहां पर एक मां के साथ दरिंदगी की ऐसी हकीकत सामने आई है जोकि सभ्य कहलाए जाने वाले समाज के माथे पर कलंक है।
30 मई की सुबह जब हजारों यात्री येलो और वायलट लाइन मेट्रो में अपनी-अपनी मंजिलों की तरफ जा रहे थे उसी वक्त 19 साल की मानेसर रेप पीड़िता अपनी 8 माह की मृत बच्ची को गोद में लिए मेट्रो से डॉक्टर के पास जा रही थी, इस उम्मीद में कि शायद बच्ची की जान बच जाए। महिला ने बताया कि वह अपनी बच्ची का शव लेकर 7 घंटे तक भटकती रही। अगर उसे समय से इलाज मिलता तो वह बच सकती थी
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इससे एक रात पहले महिला जिस बर्बरता का शिकार हुई थी वह अकल्पनीय था। पड़ोसियों से झगड़े के बाद अपने मायके जा रही महिला जिस ऑटो में सवार हुई उसने उसकी जिंदगी एक रात में ही बदल दी। ऑटो में पहले से बैठे दो शख्स और ड्राइवर ने महिला को एक सुनसान जगह पर ले जाकर उसका रेप किया और उनमें से ही एक ने छोटी सी बच्ची को सड़क पर फेंका और बच्ची की मौत हो गई।
रात के अंधेरे में 2 बजे जब तीनों दरिंदे फरार हो गए तब वहां ऐसा कोई भी नहीं दिखा जिससे महिला मदद मांग सके। महिला ने अपनी बेजान बच्ची को बाहों में भरे सुबह होने का इंतजार किया। सुबह महिला को अपने ससुरालवालों के पास ओल्ड गुड़गांव जाने के लिए एक ऑटो मिला। यहीं एक डॉक्टर ने महिला को बताया कि उसकी बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है।
आरोपियों का कोई सुराग नहीं
पुलिस को अभी तक आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला है। मामले में एसआईटी का गठन किया गया है। केस में लापरवाही मिलने पर एक लेडी पुलिस इंस्पेक्टर को सस्पेंड भी किया गया है। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर एसीपी मानेसर को एसआईटी का हेड बनाया गया है। मंगलवार को पुलिस की टीम खेड़कीदौला टोल पर सीसीटीवी खंगालती रही। इसके अलावा एक टीम बादशाहपुर थाना एरिया के एक गांव रवाना हुई। इस गांव से ऑटो चालकों के लिंक जुड़ रहे हैं। पीड़िता का आरोप है कि पुलिस ने बच्ची की मौत का मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन गैंगरेप की बात को दबा दिया। देर शाम मानेसर थाने में तैनात एसआई सुमन बाला को सस्पेंड कर दिया गया।