हिसार

भाजपा ​के राज में धरतीपुत्रों के साथ हो रही है बेइंसाफी—सम्पत सिंह

हिसार,
कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह ने कहा है कि जब से देश व प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है तब से किसानों को खून के आंसू रूला रही है। भाजपा सरकार में कॉरपोरेट घरानों की आमदनी 27 प्रतिशत से लेकर 74 प्रतिशत तक बढ़ी है। अमित शाह के पुत्र जय शाह का कारोबार तो 16000 गुणा भी बढ़ा है वहीं कृषि उत्पाद में वृद्वि 4.9 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत रह गई है। जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
एक बयान में प्रो. संपत सिंह ने कहा कि जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो यूरिया खाद लेने के लिए किसानों को दर-दर की ठोकरें व पुलिस के डंडे खाने पड़े तथा थानों में खाद बटीं। तब इनके भक्तों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि पूर्व की सरकार इसके लिए दोषी है। उन्होंने कहा कि इस सरकार के बनने के बाद प्रदेश मे किसानों की हालत बद से बद्तर हो गई है। किसानों ने पानी की कमी, मंहगी बिजली व डीजल के होते हुए भी जैसे-तैसे रबी की फसलों की बिजाई तो कर ली, परंतु कालाबाजारी व बिचौलियों की वजह से यूरिया खाद न मिलने से फसलें खराब हो रही है। किसान 200 रुपये प्रति बैग ब्लैक देकर खाद खरीद रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी की दरें व दायरा बढ़ाकर भी किसान पर अतिरिक्त भारी बोझ डाल दिया है। खाद टैक्स फ्री थी, परंतु इस पर 5 प्रतिशत से 18 प्रतिशत तक जीएसटी लगा दिया है। किसानों के टे्रक्टर व इसके पुर्जे, खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों पर भी 12 से 28 प्रतिशत जीएसटी लादकर किसान का कृषि व्यवसाय संकट में डाल दिया गया है। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंधक बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
प्रो. संपत सिंह ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से खेती के नुकसान की भरपाई मुआवजा देकर सरकार करती थी, परंतु भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करके किसान का गला कॉरपोरेट घरानों के हाथों मे दे दिया है। कॉरपोरेट घरानें किसानों की बिना सहमति के करोड़ों रुपये उनके खातों से काट लेते है, परंतु किसान अपनी फसल की भरपाई के लिए उनके दफ्तरों के चक्कर काटकर परेशान होकर घर बैठ जाते है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में नरमा की फसल 7500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिकी थी जबकि किसान को इस वर्ष नरमें की फसल के दाम 4200 रुपये प्रति क्विंटल मिले हैं। नरमें की फसल बिकने के बाद इसके दाम अब 5400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए है। इसी तरह मूंग, ग्वार, गन्ना, आलू, प्याज, टमाटर, पापुलर व बाजरा आदि के दाम भी किसान को औने-पौने मिले, परंतु कुछ दिनों बाद ही उपभोक्ता को कई गुणा दामों पर यह अनाज और सब्जियों खरीदनी पड़ रही है। इससे स्पष्ट है कि सरकार की मंशा पूंजीपतियों, बिचौलियों व कालाबाजारीयों को फायदा पहुंचाने वाली और किसानों का शोषण करने की है। यही कारण था कि गुजरात में किसान बहुलय क्षेत्रों से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली।
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Jeewan Aadhar Editor Desk