कल भी ऐसा था- ऐसा ही दुख,ऐसी ही पीड़ा,ऐसा ही संताप। वैसा ही आप भी है। और कुछ तुमने न किया तो कल भी ऐसा ही होगा। कल भी आंधविश्वास थे और आदमी उनकी जंजीरों में बंधा था- आज भी बंधा है। और अगर सजग न हुए और जंजीरे तोड़ी नहीं, तो कल भी बंधे रहोगे।
कल भी सत्य के मार्ग पर चले उन्हें सूली थी, आज भी है। लेकिन धन्यभागी है वे, जो सत्य के मार्ग पर चल कर सूली पर चढ़ जाते हैं,क्योंकि उन्हीं का असली सिंहासन है।जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी और नौकरी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
जो प्रभु के मार्ग पर मिटना जानते हैं,वही जीवन को वास्विक सम्पदा के मालिक हो पाते हैं। जो अपने को बचाते हैं,वे अपने को नष्ट कर लेते हैं। जो अपनी सुरक्षा कर रहा है, वह परमात्मा से दूर और दूर पड़ता चला जाएगा। जो साहस करता है,दुस्साहस करता है,छंलाग लगाता हैं,वही परमात्मा के पास पहुंच पाता है। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंधक बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
धर्म कायरों की बात नहीं है। और ऐसा मजा हुआ है कि धर्म कायरों की बात ही हो गया है। मंदिरो-मस्जिदों में मिलता कौन है?- कायर और डरे हुए लोग और भयभीत लोग। और धर्म कायर का मामला ही नहीं। वह उसका अभियान नहीं है। दुस्साहसी का अभियान है। जो सब दाव पर लगाने का तत्पर है, उसका अभियान है।पत्रकारिकता के क्षेत्र में है तो जीवन आधार न्यूज पोर्टल के साथ जुड़े और 72 हजार रुपए से लेकर 3 लाख रुपए वार्षिक पैकेज के साथ अन्य बेहतरीन स्कीम का लाभ उठाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
कल भी थीं जहनीयतें मजरूह ओहामो-गुमां। अंधविश्वासों से कल भी वृद्धि घायल थी। शकों, और संदेहों,अनास्थाओं से,कल भी मनुष्य की आत्मा पर घाव थे। कुश्त—ए-ईहाम है दुनिया—ए इन्सा आज थी। और आज भी अंधविश्वासों से बरबाद है।
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