धर्म

ओशो : अंधविश्वासों से बरबाद

कल भी ऐसा था- ऐसा ही दुख,ऐसी ही पीड़ा,ऐसा ही संताप। वैसा ही आप भी है। और कुछ तुमने न किया तो कल भी ऐसा ही होगा। कल भी आंधविश्वास थे और आदमी उनकी जंजीरों में बंधा था- आज भी बंधा है। और अगर सजग न हुए और जंजीरे तोड़ी नहीं, तो कल भी बंधे रहोगे।
कल भी सत्य के मार्ग पर चले उन्हें सूली थी, आज भी है। लेकिन धन्यभागी है वे, जो सत्य के मार्ग पर चल कर सूली पर चढ़ जाते हैं,क्योंकि उन्हीं का असली सिंहासन है।जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी और नौकरी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
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कल भी थीं जहनीयतें मजरूह ओहामो-गुमां। अंधविश्वासों से कल भी वृद्धि घायल थी। शकों, और संदेहों,अनास्थाओं से,कल भी मनुष्य की आत्मा पर घाव थे। कुश्त—ए-ईहाम है दुनिया—ए इन्सा आज थी। और आज भी अंधविश्वासों से बरबाद है।
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