हिसार,
वेतन निर्धारित करने की मुख्य मांग को लेकर सीएमओ कार्यालय के बाहर पिछले सात दिन से धरने पर बैठी आशा वर्कर्स ने बताया कि अव्वल तो वे गर्भवती महिला की डिलीवरी घर पर होने की स्थिति ही नहीं आने देते थे और यदि किन्हीं परिस्थितियों में होम डिलीवरी हो जाती थी तो स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी उनसे जवाब-तलबी करते थे। अब पिछले सात दिनों में दो नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी तथा दो शिशुओं की महिलाओं के गर्भ में ही मौत हो चुकी। इतना ही नहीं करीबन 9 होम डिलीवरी हो चुकी हैं। अब विभाग के स्थानीय अधिकारी इन परिस्थितियों की जिम्मेवारी लें और जिले में गर्भवती महिलाओं तथा नवजात शिशुओं के जीवन की सुरक्षा करें।
हैरत की बात है कि सात दिनों से धरने पर बैठी आशा वर्कर्स के कार्यों को करने के लिए कोई वैकल्पिक प्रबंध नहीं किए हैं। गांवों में गर्भवती महिलाओं को एम्बुलैंस सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है और न ही होम डिलीवरी केस में जच्चा-बच्चा की नियमित स्वास्थ्य जांच भी नहीं हो रही हैे। आशा वर्कर्स ने बताया कि विभाग के अधिकारी ग्रामीण अंचल में नवजात शिशुओं को टीकाकरण की सुविधा देने में पूर्णतया असफल हो रहे हैं और ऐसे में परिजनों को टीकाकरण के लिए बहुत परेशानियां उठानी पड़ रही हैें।
सर्वे आशा वर्कर्स ने किया, पोलियो मुक्ति बूंद पिलाएंगी आंगनवाड़ी वर्कर्स
धरने पर बैठी आशा वर्कर्स ने बताया कि विभाग प्रदेश में पोलियो मुक्ति के लिए जो दवाई बच्चों को पिलाते हैं, उन बच्चों की डिटेल के लिए आशा वर्कर्स ने हाल ही में सर्वे किया था और अब इस दवाई की बूंदें विभाग के अधिकारी आंगनवाड़ी वर्कर्स से पिलवाएंगे। उनका तर्क है कि जब आंगनवाड़ी वर्कर्स को पता ही नहीं कि किस घर में कितने वर्ष के बच्चे हैं तो विभाग जिले में हर घर तक बच्चे को यह दवा कैसे पिला पाएगा।
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