धर्म

ओशो : तुम्हारा संन्यास

सुना हैं: एक स्त्री ने रात सपना देखा कि आ गया राजकुमार,जिसकी प्रतीक्षा थी, घोड़े पर सवार। उतरा घोड़े से। घोड़ा भी कोई ऐसा-वैसा घोड़ा नहीं रहा होगा। रहा होगा चेतक। शानदार घोड़े से उतरा शानदार राजकुमार। जब सपना ही देख रहे हो,तो फिर अच्चर-खच्चर पर क्या बिठाना। अपना ही सपना है, तो चेतक पर बिठाया होगा। और राजकुमार भी रहा होगा सुंदरतम। अब जब सपना ही देखने चले हैं, तो इस में क्या कंजूसी,क्या खर्चा। मुफ्त सपना है, अपना सपना हैं।

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उतरा राजकुमार। सुंदर देह उसकी। नील वर्ण। रहा होगा कृष्ण जैसा। उठाया गोद में इस युवती को। बिठाया घोड़े पर। जैसे पृथ्वीराज संयोगिता को ले भागा। पढ़ी होगी कहानी कहीं पृथ्वीराज-संयोगिता की। चला घोड़ा। उसकी टापे मीलों तक सुनाई पड़े, ऐसी आवाज। चला घोड़ा भागता हुआ। काफी दूर गए संसार से।
प्रेमी सदा दूर निकल जाना चाहते हैं संसार से,क्योंकि संसार बड़ी बाधा देता हैं। यहां अडंग़े खड़े करने वाले बहुत लोग है। प्रेम में अडंग़ा खड़े करने वाले तो बहुत लोग हैं। सब तैयार बैठे हंै। क्योंकि खुद प्रेम नहीं कर पाए, दूसरे को कैसे करने दे। खुद चूक गए हैं, अब औंरो को भी चुकाकर रहेंगे। बदला लेकर रहेगे। यहां सब प्रेम के शत्रु हैं।

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तो जब सपना ही देख रहे हैं, तो फिर चले संसार से दूर। युवती बड़ी प्रफुल्लित हो रही हैं। बड़ी खिली जा रही है। उसके हृदय की कली पहली दफे खिली है। आ गया राजकुमार,जिसकी जन्मों से प्रतीक्षा थी। उसी घोड़े पर सवार, जिस पर सदा राजा-महाराजा आते हैं, कि देवता आते हैं।
फिर उसने पूछा,युवती ने, बड़े सकुचाते हुए ,बड़े शरमाते हुए-अपना ही सपना है, तो शरमाओ खूब,सकुचाओ खूब- उसने पूछा कि हे राजुकमार मुझे कहां लिए चलते हो? और राजुकमार हंसने लगा। और उसने कहां: यह सपना तुम्हारा हैं: तुम जहां कहो। इसमें मेरा क्या बस है। मैं इसमें आता कहां हूं। सपना तुम्हारा है।
तो वे जो तुम्हारे ऋषि मुनि बैठ जाते है पहाड़ो पर….। यहां अगर स्त्री मोह लेती थी, तो वहां सपने स्त्री के ही चलेंगे। तुम जिसको भागोगे,वह तुम्हारा पीछा करेगा। तुम जिससे डरोगे, तुम उसी से हारोगे।
इसलिए मैं भागने को नहीं कहता। मंै कहता हूं: यही समझो,पहचानों,निखारो अपने चैतन्य को।
मैं जीवन-विरोधी नहीं हूं। जीवन से मेरा असीम प्रेम हैं। और मैं चाहता हूं कि तुम्हारा संन्यास ऐसा हो कि तुम्हारे संसार को निखार दे, तुम्हारे संसार को ऐसा बना दे कि परमात्मा झलकने लगे।
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