धर्म

स्वामी सदानंद के प्रवचनों से—251

जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी और नौकरी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

यह पुतना कौन हैं? पूतना पूर्व-जन्म में राजा बलि की राजकुमारी रत्नमाला थी जब भगवान् वामन बालक का रूप बनकर आए तो उनके सुन्दर रूप को देखकर रत्नमाला के मन में आया कि इस सुन्दर बालक को मैं अपनी गोद में बिठाकर दूध पिलाऊं। भगवान् वामन उसकी इच्छा जान गए और उन्होंने कहा, इस अवतार में नहीं, हे देवी तुम्हारी यह इच्छा अगले जन्म में कृष्ण अवतार में पूर्ण होगी।
वहीं रत्नमाला इस जन्म में पूतना बनी। फिर पूतना ने बालक को मारना क्यों चाहा? क्योंकि पिछले जन्म में जब वामन भगवान् विराट् रूप बनाकर बलि को पाताल में धकेल दिया, तो रत्नमाला को बड़ा गुस्सा आया और कहा, जितना छोटा है, उतना ही खोटा है। जी चाहता है कि कच्चे को चबा जाऊं। दुश्मनी का भाव आ गया। इसलिए कृष्ण को विषपान कराकर मारने के लिए पूतना बनकर आई।
पुतना कृष्ण को मारने चतुर्दशी के दिन आई। क्यों? चतुर्दशी का अर्थ होता है ,चौदह दिन। पूतना अर्थात् वासना चौदह स्थानों में वास करती है- पांच ज्ञानेन्द्रिय,पांच कमेन्द्रिय,मन बुद्धि,चित्त, और अंहकार-जो इन चौदह स्थानों को पवित्र रखता हैं। वही पूतना से बच सकता है और परमात्मा का स्वरूप बनकर आवागमन से मुक्त हो सकता है। कृष्ण की बाल लीलाओं में पूतना उद्धार लीला अपना विशिष्ट स्थान रखती है।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 379

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—304

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—192