हिसार

यशोदा के लाला भयो मंगल बधाई….भजन पर झूमे श्रद्धालु

आदमपुर (अग्रवाल)
बोगा मंडी स्थित प्रणामी सत्संग भवन में श्री कृष्ण प्रणामी सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को धर्मलाभ देते हुए स्वामी सदानंद महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण ने कालिया नाग और उसकी 10 पत्नियों (नागिन) का अंत कर लोगों को उनके खौफ से मुक्ति दिलाने का काम किया। उन्होंने कहा कि कालिया नाग का अर्थ मन है और इनकी 10 पत्नियों में 5 पत्नियों का अर्थ ज्ञानेंद्रिया और 5 पत्नियों का अर्थ कर्म इंद्रियां है। मानव अपने मन और इंद्रियों को वश में करके पूर्ण मानव बन सकता है। मानव वही है जिसने अपने मन और इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली हो।

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कथा के दौरान श्रीकृष्ण के जन्म पर ‘यशोदा के लाला भयो मंगल बधाई, ‘मंगल बधाई है जी मंगल बधाई, ‘ये बधाई जब कृष्ण जन्म के बाद नंदोत्सव के दौरान स्वामी सदानंद महाराज ने गाई तो पूरा पंडाल खुशी से झूम उठा व सभी एक दूसरे को बधाई देने लगे। संत ने कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं के द्वारा मानव को ज्ञान देकर भक्ति के मार्ग पर चलाने का काम किया। स्वामी ने भगवान श्री कृष्ण की माखन चोरी लीला का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि भगवान की लीलाएं पूर्णतया रहस्यमयी है। इनका सीधा प्रभाव बुद्धि पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि लीलाओं के सुनने से मानव का मन पवित्र हो जाता है, मन में भक्ति की भावना जागृत होती है। भक्ति करने से मानव का अंतकरण मखन की तरह श्वेत, शुद्ध हो जाता है। स्वामी ने कहा कि सच्चे मानव के लिए मन का चिंतन श्रेष्ठ होना चहिए, यदि मन का चिंतन श्रेष्ठ नही होगा तो वह मानव पशु समान है। उन्होंने चीरहरण का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि चीरहरण का मतलब आत्मा और परमात्मा के बीच पड़े अंहकार रुपी पर्दे को हटाना है। उन्होंने बताया कि मानव यदि इस अंहकार रुपी पर्दे को हटा दे तो उसे परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। कथा के दौरान उन्होंने भगवान श्री कृष्ण द्वारा पुतना का वध करना, अपनी उंगुली पर पर्वत उठाना, ब्रह्मजी का शक दूर करना, महारास लीला, शिव का रास में गोपी बनकर आना, कंस वध, उद्धव गीता व भगवान श्री कृष्ण-रूकमणी विवाह का विस्तार पूर्वक वर्णन किया।

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