धर्म

स्वामी राजदास : धर्म

एक नेत्रहीन भीड़ भरी सड़क को पार कर रहा था। उसे बीच में फंसा हुआ देखकर कुछ लोग मदद को आ गए और उन्होंने उस नेत्रहीन को सड़क पार करा दिया। उनमें से किसी ने टोका कि आपको दिखाई नहीं देता, किसी को साथ लेकर चलना चाहिए। उस नौजवान ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, ‘मैं नहीं देख पा रहा हूं लेकिन भगवान तो हैं साथ में, जो मेरा हाथ पकड़कर हर रोज उस पार ले जाते हैं।’

जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी और नौकरी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

एक व्यक्ति ने मजाक किया कि यहां भगवान हैं तो हमें दिखाई क्यों नहीं दे रहे हैं। नेत्रहीन ने जो जवाब दिया, उसे सुनकर हर किसी की आंखें शून्य में खो गईं। कहा, ‘मैं अकेला हूं, हर दिन सामने मंदिर में प्रसाद खाने जाता हूं, उसी से मेरा जीवन चलता है। आपमें से कोई न कोई हर दिन मेरी मदद कर सड़क पार करा देता है, जिससे मेरी जान बच जाती है। मेरे लिए तो आप सब ही भगवान हैं।’

उस नेत्रहीन ने बातों-बातों में एक निचोड़ सबके सामने रख दिया। बता दिया कि आखिर धर्म होता क्या है। हमने पूजा-पाठ और पाखंड को धर्म का पर्याय बना दिया है। आज हर जगह विश्वास की जगह पर अंधविश्वास का कब्जा हो गया है। हम उसी की परिक्रमा करते जा रहे हैं, लेकिन उस नेत्रहीन ने मदद को प्रतिष्ठापूर्ण जगह पर पहुंचा दिया। उसे परमात्मा से जोड़ दिया। महावीर, बुद्ध, गांधी या मदर टेरेसा सबने हमेशा मदद या सेवा की बात की। हमारे यहां तो कहा ही जाता है कि मदद के लिए उठा हुआ हाथ हमेशा ऊपर होता है।

हम धर्मस्थलों में पुण्य के नाम पर हर साल करोड़ों-करोड़ रुपये चढ़ावा चढ़ाते हैं। भगवान की मूर्ति के समक्ष बोली लगाते हैं। उसका लाभ किसे मिलता है, यह पता नहीं। उसकी अपेक्षा अगर स्कूलों के निर्माण, बेहतर संचालन, बच्चों की पढ़ाई में मदद करें तो न केवल समाज मजबूत होगा बल्कि देश भी खुशहाल होगा। हमने पाप-पुण्य की मान्यता को धर्म के तराजू पर रखकर मनुष्य को गौण कर दिया है। यह प्रवृत्ति अगर बदलती है तो निश्चित रूप से गांधीजी के आखिरी आदमी तक हम पहुंच कर उन्हें मुख्य धारा में शामिल कर पाएंगे।

जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज—222

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—448

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—626

Jeewan Aadhar Editor Desk