नई दिल्ली,
349 फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (FDC) दवाओं पर एक बार फिर तलवार लटक गई है। माना जा रहा है कि इन्हें एक बार फिर बाजार से बाहर किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने इनकी जांच के लिए एक कमिटी का गठन कर दिया है। सरकार ने 2016 में इन दवाओं को अवैज्ञानिक और सेहत के लिए खतरनाक मानते हुए इन पर बैन लगा दिया था। इस बैन के खिलाफ कई नामी दवा कंपनियां सुप्रीम कोर्ट में चली गई थीं। कोर्ट ने बैन को गलत मानते हुए इसे खारिज कर दिया था।
इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पुनर्विचार याचिका दायर करने पर अदालत ने सरकार से इन दवाओं की जांच करने के लिए एक कमिटी गठित करने को कहा था। भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने अब दवाओं के मामले में देश की शीर्ष तकनीकी संस्था ड्रग टेक्निकल अडवाइजरी बोर्ड के तहत एक कमिटी का गठन कर दिया है। यह समिति अब इन दवाओं की वैज्ञानिकता और सेफ्टी का अध्ययन करने के साथ ही इस मामले में दवा कंपनियों और अन्य पक्षों की बात सुनेगी। माना जा रहा है कि फैसला FDC के पक्ष में आने के आसार कम हैं।
क्या है FDC?
ये वैसी दवाएं हैं जो एक से ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाई जाती हैं। मिसाल के लिए पैरासिटामॉल और ऐस्पिरिन दो अलग-अलग दवाएं हैं। इन्हें मिलाकर अगर कोई नई दवा बनाई जाती है तो उसे FDC कहा जाएगा। देश में इस समय 7 हजार FDC दवाएं बिक रही हैं।
क्या है विवाद?
FDC को एक नई दवा माना जाता है। इसके उत्पादन और बिक्री के लिए भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (DCGI) की मंजूरी जरूरी होती है। इसका क्लिनिकल ट्रायल और सेफ्टी साबित होनी चाहिए। लेकिन आरोप है कि कई राज्यों ने इस नियम की अनदेखी करते हुए हजारों FDC को बाजार में उतारने की अनुमति दे दी गई है।
कैसे टूटी नींद?
DCGI ऑफिस की नींद तो तब टूटी जब हेल्थ वर्कर्स के साथ ही स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति ने FDC के मामले में कड़ा रुख अपनाया और इन्हें अवैज्ञानिक करार देने के साथ ही सेहत के लिए खासा खतरनाक बताया। एक से ज्यादा ऐंटिबायॉटिक्स के इस्तेमाल से देश में बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ प्रतिरोध बढ़ रहा है। दवाएं अपना काम करने में नाकाम होती जा रही हैं।
कई देशों में बैन
भारत में जहां ये दवाएं धड़ल्ले से बिक रही हैं, वहीं दूसरे कई देशों में इन पर बैन है। अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ ही कई देशों में FDC पर रोक है। लेकिन भारत के साथ ही कई विकाससील देशों में ये दवाएं बिकती हैं।
कितना है कारोबार
सरकार ने जिन 344 FDC पर बैन लगाया था, उनका देश के संगठित दवा क्षेत्र में कुल कारोबार करीब 4 हजार करोड़ रुपये का है। यह भारत के फार्मा सेक्टर के कुल कारोबार का 4 प्रतिशत है।