हिसार

बेटियों ने नम आंखों से दिया दादा की अर्थी को कंधा, देह दान कर की मिशाल कायम

आदमपुर (अग्रवाल)
बेटियां आज हर क्षेत्र में बेटों के साथ हमकदम होकर चल रही है। आज चारों तरफ बेटियां हर काम में आगे निकल रही है फिर चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र हो या आकाश में हवाई जहाज उड़ाना हो या आर्मी में भर्ती होकर देश की सेवा करना सभी क्षेत्र में वह पुरुषों को लगातार टक्कर दे रही है लेकिन आज भी हमारे समाज में मान्यता रही है की कुछ विशेष कार्य सिर्फ पुरुषों के ही लायक समझा जाता है।

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जैसे मरने के बाद अंतिम क्रिया कर्म की रस्म हो या अर्थी को कंधा देने की रस्म अदायगी, शायद इसीलिए हमारे समाज में बेटे को प्राथमिकता दी जाती है और बेटियों को कमतर आंका जाता है। लेकिन बेटियों ने हमेशा ही इस मिथक को तोडऩे का प्रयास किया है। इसी कड़ी में गांव चूली बागडिय़ान में किसान परिवार में जन्मी बेटियों ने अपने दादा की अर्थी को कंधा देकर बेटा-बेटी में अंतर समझने वाले लोगों को करारा जबाव दिया है। गांववासी रायसिंह (70) का गत दिवस निधन हो गया था। जिसके बाद अर्थी को कंधा लगाने की रस्म उनकी पोती प्रियंका और सुनीता ने निभाई।
बेटियों के साहस पर फक्र
बेटियों के इस साहस पर फक्र भी हो रहा था। जब राय सिंह के दाह संस्कार की बात शुरू हुई तो पोतियों ने पूरी रस्म निभाने की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठाई, जिसका परिवार के अन्य लोगों ने समर्थन किया। ग्रामीणों ने कहा कि वह इन बेटियों के साहस को सलाम करते हैं। उन्होंने हजारों बेटियों को संदेश देने की कोशिश की है कि बेटियां हर बोझ को उठाने में सक्षम हैं। राय सिंह इंसा के बेटे विनोद कुमार ने बताया कि उनके पिता डेरा अनुयायी थे। उन्होंने मृत्युपरांत शरीरदान की घोषणा की हुई थी। उनके निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर मैडीकल शोध के लिए ऋषिकेश स्थित मैडीकल कालेज भेजा गया है। इस दौरान शाह सतनाम जी ग्रीन एस. वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादार और सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। इनके अलावा सदलपुर ब्लाक के भंगीदास राजकुमार, 15 मैंबर कमेटी सदस्य सतबीर नेहरा, आत्माराम, सत्यनारायण, भूषण गोयल, ओमप्रकाश, बलवंत, विकास, छोटूराम बाजिया, मा.मदनलाल, जिला सुजान बहन गीता व निर्मला के अलावा अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
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