कैैथल,
एक ओर जहां पूरे देश में होली के रंगों में डूबा हुआ है वहीं हरियाणा में एक गांव ऐसा भी है जहां 150 सालों से होली नहीं मनाई जाती। बाबा के शाप का भय से गांव में होली पर ना गीत गाए जाते है, ना पकवान बनते है और ना ही रंग लगाया जाता है।
कैथल के गुहल्ला चीका स्थित दूसरपुर गांव में 158 साल से होली का पर्व नहीं मनाया गया है। दरअसल 158 साल पहले इस गांव में एक ठिगने कद के बाबा श्रीराम स्नेही दास रहते थे। कुछ लोगों ने होली के दिन उनका मजाक बनाया। अपमान से क्रोधित बाबा ने होली दहन के समय आग में कूदकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने मरने से पहले गांव वालों को शाप दे दिया कि जो भी आज के बाद होली मनाएगा उसके परिवार का नाश हो जाएगा। उसके बाद से आज तक यहां होली नहीं मनाई गई। कहते हैं बाबा ने गांव वालों से मांफी मांगने पर कहा कि जब होली के दिन किसी के घर पुत्र का जन्म होगा और उसी दिन गाय बछड़े को जन्म देगी तो उस दिन से यह शाप समाप्त हो जाएगा। लेकिन अब तक ऐसा संयोग नहीं बना है। गांव में बाबा की समाधि है जहां लोग पूजा करते हैं और मानते हैं कि यह लोगों की मुराद पूरी करते हैं।