हिसार

शिक्षिका की नौकरी छोड़ खोली डेयरी, अरुणा ने कामयाबी की नई इबारत लिखी

आदमपुर (अग्रवाल)
वो अंग्रेजी में बात करती है..अंग्रेजी लिटरेचर पर उसकी जोरदार पकड़ है..​लेकिन आजकल वो भैंस को नहलाने, उनके गोबर उठाने, दूध निकालने और उनके लिए चारा व्यवस्था करने में लगी रहती है। हम बात कर रहे है सशक्त इरादे के साथ दूध डेयरी बिजनेस करने वाली जवाहर नगर निवासी अंग्रेजी एम.ए.पास अरुणा बिश्नोई की। अरुणा बिश्नोई पहले अंग्रेजी की शिक्षिका थी, लेकिन स्वरोजगार करने के लिए उन्होंने नौकरी को छोड़कर दूध डेयरी का बिजनेस करने की ठानी। केवल 4 पशु से अपना बिजनेस आरंभ करने वाली अरुणा बिश्नोई के पास आज 70 पशु है।

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महिलाओं के लिए स्वरोजगार की दिशा में प्ररेणा बनी अरुणा बिश्नोई को कई बार लुवास यूनिवर्सिटी के अलावा अनेक संगठनों ने भी सम्मानित कर चुके है। अरुणा बताती है कि पति सुभाष बिश्नोई हरियाणा पुलिस में थे लेकिन कुछ समय बाद उन्हें सरकार ने निकाल दिया तो उन्होंने 4 पशुओं के साथ यह कारोबार शुरू किया था और वह स्कूल में पढ़ाती थी। लेकिन कुछ साल पहले सरकार ने अपना फैसला बदलते हुए उन्हें दोबारा नौकरी दे दी। तब उसने सोचा कि क्यों ना इसी काम को आगे बढ़ाया जाए और फैसला लिया कि इसी डेयरी को आगे बढ़ाएंगी। धीरे-धीरे करके पशुओं की संख्या बढ़ाना शुरू किया और आज 4 से 70 पशुधन हो गए हैं। इसके अलावा इसी कमाई से घर के चलाने के साथ कुछ प्लाट भी खरीदे हैं ताकि पशुओं के लिए अलग जगह बनाई जा सके। परिवार और अन्य लोगों का भी पूरा सहयोग रहा है। सभी लोगों ने हौसला बढ़ाया और आज इस डेयरी को बड़ी आसानी से चला रही है और भविष्य में इसे एक आधुनिक डेयरी का रुप देने का प्रयास कर रही है।

अरुणा के मुताबिक खेती और डेयरी दोनों काम एक दूसरे के पूरक हैं। किसान के लिए सबसे आसान यही है कि वह कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी करें। काम कोई भी हो आपकी मेहनत व लगन सच्ची होनी चाहिए। अरुणा कहती है कि डेयरी व्यवसाय से प्रति माह 60 से 70 हजार रुपये कमा कमा लेती है। साथ ही घर का दूध व घी भी मिल जाता है। दूध बेचने के साथ-साथ छोटे पशुओं को भी पालते हैं तो 3 या 4 साल बाद एक बड़ा पशु बन जाता है। जिसकी बाजार में अच्छी कीमत तय होती है। पढ़ी—लिखी महिलाएं डेयरी व्यवसाय को अनपढ़ों का काम मानती है। इससे दूर भागती है, जबकि यह महिलाओं के लिए सुरक्षित व्यवसाय है। इससे लोगों को रोजगार दिया जा सकता है।

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