पंजाब

सुनीता हांडा बना परिवर्तन का नाम..मेहनत के बल पर बदल दी न्याल महाविद्यालय की तस्वीर

पातड़ा (अनूप गोयल)
किसी भी बिगड़ी सूरत को संवारने के लिए एक मेहनती इंसान की आवश्यकता होती है, ऐसी ही बिगड़ी हालत थी पातड़ा सब—डिविजन के गांव न्याल के राजकीय महाविद्यालय की। महाविद्यालय का भवन था, लेकिन विद्यार्थियों को तरासने वाले दृढ़ संकल्प वाले गुरूजन नहीं थे। सरकार जिसे भी यहां पढ़ाने के लिए भेजती, वह अपना तबादला करवाकर यहां से निकल जाता। ऐसे में यहां के विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमयी ही रह जाता।

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इसी बीच सरकार ने यहां पर प्राचार्या के रुप में सुनीता हांडा को भेजा। उन्होंने यहां आने के बाद महाविद्यालय के महौल को पहली नजर में ही भांप लिया। इसके बाद उन्होंने इसकी सूरत बदलने की ठान ली। उन्होंने स्टाफ सदस्यों और विद्यार्थियों को साथ लेकर संकल्प लिया कि न्याल के राजकीय महाविद्यालय को हर क्षेत्र में अव्वल बनाना है। इस संकल्प के साथ आरंभ हो गया काफी ​कठिनाई भरा मेहनत का सफर।
काफी चुनौतियों को पार करते हुए प्राचार्या सुनीता हांडा ने महाविद्यालय को क्षेत्र के प्राइवेट महाविद्यालयों के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया। महाविद्यालय ने हर क्षेत्र में प्रगति की। शिक्षा के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया तो कला—संस्कृति में भी अपनी छाप छोड़ी। पौधारोपण के कारण महाविद्यालय परिसर हरा—भरा हो गया। विद्यार्थियों के श्रमदान ने पूरे परिसर को साफ—सुथरा बना दिया।
यूं बिगड़ती चली गई तस्वीर
असल में, पटियाला से 60 किलोमीटर दूर स्थित न्याल के राजकीय महाविद्यालय में कोई प्राचार्य और लेक्चरर आना नहीं चाहता था। इसका मुख्य कारण था ग्रामीण परवेश। स्टाफ न होने के कारण यहां पढ़ाई होती नहीं थी। पढ़ने वाले विद्यार्थी पटियाला जाने लगे। न्याल के राजकीय महाविद्यालय के हिस्से में आते वे विद्यार्थी—जिन्हें कम अंकों के कारण कहीं और एडमिशन न मिलता। इस तरह यहां की तस्वीर बिगड़ती चली गई।
अब बदल गई पूरी तस्वीर
इस दौरान यहां प्राचार्या के पद पर सरकार ने सुनीता हांडा को भेजा। उन्होंने महाविद्यालय से तबादला करने के स्थान पर इसकी सूरत बदलने की ठानी। इसके बाद आरंभ हुआ संघर्ष और मेहनत का सफर। उन्होंने विद्यार्थियों में पढ़ने की रुचि को जगाया। स्वयं कक्षाएं लेनी आरंभ की। कमजोर विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जगाया। इसका सार्थक परिणाम भी मिलने लगे। जब विद्यार्थियों का आत्मविश्वास जागा तो न्याल महाविद्यालय की सूरत ही बदल गई।
विद्यार्थियों ने किया सम्मानित
एक गुरु के लिए सबसे ​अनमोल क्षण उनके शिष्य का कामयाब होना होता है। ऐसा ही क्षण अब प्राचार्या सुनीता हांडा को मिलने लगे है। न्याल के विद्यार्थी अब हर क्षेत्र में कामयाबी को छू रहे है। प्राचार्या की लग्न, मेहनत और कर्मठता के आगे नतमस्तक होते हुए उनके विद्यार्थियों ने उन्हें सम्मानित करके उनका कद और ऊंचा कर दिया है।

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