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चुनावी हलफनामे के अनुसार 33 प्रतिशत सांसदों व विधायकों पर है महिला अपराध के मामले दर्ज

नई दिल्ली,
देश को चलाने का भार जिन सांसदों और विधायकों के कंधे पर देश की जनता ने डाला था उनमें से 33% पर अपराधिक मामले दर्ज है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच ने मौजूदा 4896 सांसदों और विधायकों में से 4845 के चुनाव हलफनामे का विश्लेषण किया है। इसमें 776 सांसदों में से 768 के हलफनामे और भारत के सभी राज्यों के 4120 विधायकों में से 4077 विधायकों के हलफनामे शामिल हैं। राज्यसभा, लोकसभा सांसदों और विधानसभा सदस्यों के सदस्यों द्वारा अपने चुनावी हलफनामे में घोषित किए गए महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित यह रिपोर्ट हमें हमारे राजनेताओं के बारे में काफी कुछ बताती है।

महाराष्ट्र सबसे आगे

1580 (33%) सांसदों/विधायकों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 48 ऐसे हैं जिन पर महिलाओं विरोधी अपराध के मामले भी शामिल हैं। इन महिला विरोधी अपराध वाले 48 सांसदों/विधायकों में से 45 विधायक हैं और 3 सांसद हैं। राज्यों में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 12 सांसद/विधायक हैं जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ मामलों से संबंधित अपराध घोषित किए हैं, इसके बाद पश्चिम बंगाल में 11, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के 5-5 सांसद/विधायक हैं।
327 ऐसे उम्मीदवार मिले जिन्होंने अपने ऊपर महिला विरोधी अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की थी, उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा टिकट दिए गए थे। महिलाओं विरोधी अपराधों से संबंधित घोषित मामलों के साथ 118 निर्दलीय उम्मीदवारों ने पिछले 5 सालों में लोकसभा/राज्यसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव लड़ा था। इन उम्मीदवारों में से, 40 उम्मीदवारों को लोकसभा/राज्यसभा चुनावों के लिए दलों द्वारा टिकट दिए गए थे। विभिन्न मान्यता प्राप्त दलों ने राज्य विधानसभा चुनावों के लिए महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों के साथ 287 उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं।

निर्दलीय सबसे आगे

पिछले 5 वर्षों में, लोकसभा/राज्यसभा चुनावों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित घोषित मामलों के साथ 18 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ चुके हैं। इसी तरह, राज्य विधानसभा चुनावों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित घोषित मामलों के साथ 100 निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।
पिछले 5 सालों में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 65 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने हलफनामों में अपने ऊपर महिला विरोधी अपराधों के मामलों की घोषणा की है जिसके बावजूद राजनीतिक दलों द्वारा उन्हें टिकट दिए गए, उसके बाद बिहार के 62 और पश्चिम बंगाल के साथ 52 उम्मीदवार भी इसी क्रम में हैं।

बीजेपी सबसे आगे

देश के विभिन्न मान्यता प्राप्त दलों में बीजेपी में सबसे ज्यादा 12 सांसद/विधायक ऐसे हैं जिन्होंने अपने हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ मामलों से संबंधित अपराध घोषित किए हैं, इसके बाद दूसरे नंबर पर एसएचएस (शिवसेना) 7 और तीसरे नंबर पर एआईटीसी (अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस) है जिसके 6 सांसद/विधायक इस श्रेणी में आते हैं।
पिछले 5 वर्षों में देश के प्रमुख दलों में से बीजेपी ने 47 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों का जिक्र अपने हलफनामें में किया। ऐसे उम्मीदवारों की दूसरी सबसे ज्यादा संख्या बीएसपी की थी जिसने 35 ऐसे लोगों को टिकट दिया जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की थी, इसके बाद कांग्रेस ने कुल 24 उम्मीदवारों को टिकट दिए। इन सभी उम्मीदवारों ने पिछले 5 वर्षों में लोकसभा/राज्यसभा और विधानसभाओं के लिए चुनाव लड़े वह भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा के साथ।

3 विधायकों पर बलात्कार से संबंधित मामले

आंध्र प्रदेश में धर्मवर्म निर्वाचन क्षेत्र से टीडीपी के टिकट पर जीते गोंगुंटला सूर्यनारायण (2014)
गुजरात में शेरा निर्वाचन क्षेत्र से जीते बीजेपी के जेठाभाई जी अहिर (2017) और आरजेडी के गुलाब यादव जिन्होंने बिहार के झांझहरपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता (2015)। इन तीनों पर बलात्कार के मामले दर्ज है।

ये है राजनेताओं की स्थिति

पिछले 5 वर्षों में, मान्यता प्राप्त दलों ने 26 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जिन्होंने अपने हलफनामे में खुद पर बलात्कार से संबंधित मामलों की घोषणा की थी। पिछले 5 वर्षों में, बलात्कार से संबंधित घोषित मामलों वाले 14 निर्दलीय उम्मीदवारों ने लोकसभा/राज्य सभा और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव लड़ा है।

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