कैथल,
देशभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली की मानस की फुटबॉलर बेटियां इन दिनों दूसरे के खेतों में गेहूं काटने को मजबूर हैं। जिले के मानस गांव की इन बेटियों ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं। परिवार की आर्थिक तंगी के कारण इन्हें 20 से 25 दिन खेल छोड़कर सालभर का अनाज एकत्र करने के लिए दिहाड़ी करनी पड़ रही है।
इनमें सुदेश हरियाणा की टीम में गोल कीपर हैं। सुदेश के मुताबिक पांच सालों से वह हरियाणा की टीम का हिस्सा हैं। अब तक तीन गोल्ड सहित पांच पदक जीते हैंं। वर्ष 2014 में रांची में प्रदेश की टीम को गोल्ड दिलाया था।
परिवार में चार बहन व दो भाई हैं। बड़े भाई सहित दो बहनों की शादी हो चुकी है। पिता कर्मबीर व बड़ा भाई बलजीत ईंट भट्ठे पर काम करते हैं। ईंट पथाई के सीजन में वे भी परिवार के साथ काम करने जाती हैं। अब खेतों में गेहूं का सीजन चला हुआ है तो माता-पिता व भाई के साथ दूसरों के खेत में दिहाड़ी करने जाती हैं। इस दौरान खेल भी छोड़ना पड़ता है। परिवार बेहद गरीब है। घर वाले कई बार उसे खेल छोडऩे को कह चुके हैं, लेकिन उसकी जिद के आगे वे झुक जाते हैं।