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जानें, क्या होता है सौर तूफान जो अगले 24 घंटे में लाएगा धरती पर आफत

नई दिल्ली,
मौसम वैज्ञानिकों ने अगले 24 घंटे में भारत के कई जिलों में भयंकर तूफान की चेतावनी दी है। लेकिन सिर्फ ये ही मुसीबत खतरा नहीं है। क्योंकि अगले 24 घंटों में अंतरिक्ष से भी एक भयंकर तूफान धरती से टकराएगा, जिसके कारण सैटेलाइट्स से लेकर मोबाइल, इंटरनेट जैसी सभी सुविधाएं ठप हो सकती हैं। अंतरिक्ष से आने वाला ये तूफान सीधे सूर्य से निकलेगा। वैज्ञानिक इसे सोलर स्टॉर्म, सोलर तूफान या सौर तूफान कहते हैं। इस तूफान का असर दुनिया के कई देशों पर दिखाई देगा। इन देशों में से एक भारत भी है। तो आखिर क्या है सौर तूफान और ये कैसे धरती पर असर डालता है।

क्या है सौर तूफान
सूर्य की सतह पर बड़े पैमाने के विस्फोट होते हैं, जिसके दौरान कुछ हिस्से बेहद चमकीले प्रकाश के साथ असीम ऊर्जा छोड़ते हैं, जिसे सन फ्लेयर कहा जाता है। सूर्य की सतह पर होने वाले इस विस्फोट से उसकी सतह से बड़ी मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा निकलती है, जिससे सूरज के कोरोना या सूर्य की बाहरी सतह का कुछ हिस्सा खुल जाता है। इससे ऊर्जा बाहर की ओर निकलती है, जो आग की लपटों की तरह दिखाई देती है। ये असीम ऊर्जा लगातार कई दिनों तक निकलती रहे तो इससे अति सूक्ष्म न्यूक्लियर पार्टिकल भी निकलते है। यह कण पूरी ऊर्जा के साथ ब्रह्मांड में फैल जाते हैं। जिसे सौर तूफान कहा जाता है। इस ऊर्जा में जबरदस्त न्यूक्लियर रेडिएशन होता है, जो इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाता है।

सौर तूफान धरती से टकराए तो क्या होता है
नासा के अनुसार, सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ये होता है कि सूर्य की सतह पर किस दिशा में विस्फोट हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस दिशा में विस्फोट होगा, उसी दिशा में न्यूक्लियर पार्टिकल लिए ऊर्जा अंतरिक्ष में ट्रेवल करेगी। यदि यह दिशा धरती की ओर है तो ये ऊर्जा उस पर भी असर डालेगी।

धरती का चुंबकीय क्षेत्र है बड़ा कवच
सूरज से निकलने वाले रेडिएशन से पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बचाता है। धरती के गर्भ से निकलने वाली चुंबकीय शक्तियां जिससे वायुमंडल के आसपास एक कवच बन जाता है, वो इन पार्टिकल्स का रुख मोड़ देता है। लेकिन सौर तूफान के दौरान इस कवच को भेद देते हैं, जिससे पृथ्वी पर बड़ा असर होता है।

सौर तूफान लाएगा ब्लैकआउट
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस सोलर तूफान को 5 श्रेणियों में बांटा है। जी-1 से लेकर जी-5 तक बांटे गए इस तूफान की जी-5 श्रेणी सबसे ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है। जी-1 का असर सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन पर पड़ेगा। सौर तूफान के धरती के नजदीक आने से अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट भी प्रभावित होंगे। सौर तूफान से निकलने वाले चार्ज्ड पार्टिकल खुद की मैग्नेटिक वेव बनाते हैं, जिससे धरती की मैग्नेटिक वेव भी डिस्टर्ब होंगी। इससे मोबाइल सिग्नल, केबल नेटवर्क, जीपीएस नैविगेशन और सैटेलाइट आधारित तकनीक प्रभावित हो सकती हैं। इस स्थिति के कारण कुछ समय के लिए टेक ब्लैकआउट की स्थिति बन सकती है।

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