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CJI महाभियोग मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल ने वापस ली याचिका

नई दिल्ली,
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति द्वारा खारिज करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका कांग्रेस ने वापस ले ली है। इसके बाद 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इसे खारिज घोषित कर दिया है।

शीर्ष कोर्ट में इस पूरे मामले में नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला। महाभियोग के प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने की याचिका तब वापस ले ली गई, जब पांच जजों की पीठ ने संवैधानिक पीठ के गठन को लेकर प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी शेयर करने से इंकार कर दिया।

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि यह बहुत निराशाजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि संवैधानिक पीठ ने प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी शेयर करने से इंकार कर दिया।

जस्टिस सीकरी की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि उनके पास प्रशासनिक आदेश वाली कॉपी नहीं है। पांच जजों की बेंच ने दलील दी कि मामले की सुनवाई मेरिट पर होनी चाहिए।

दरअसल, कपिल सिब्बल ने एक समय संवैधानिक पीठ के गठन जुड़े प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी दिखाने की मांग कर डाली। इसके बाद पीठ ने कपिल सिब्बल से पहले याचिका दिखाने को कहा।

इस पर, अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पीठ याचिकाकर्ता को प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी नहीं दिखा सकती। इस पीठ ने कहा कि याचिका वापस ले ली जाए अथवा खारिज कर दी जाएगी। इसके बाद कपिल सिब्बल ने याचिका वापस ले ली।

कांग्रेसी सांसदों की ओर से कपिल सिब्बल ने पांच जजों की पीठ के गठन पर सवाल उठाए। सिब्बल ने कहा कि याचिका को अभी नंबर नहीं मिला। एडमिट नहीं हुई, लेकिन रातों रात ये पीठ किसने बनाई? इस पीठ का गठन किसने किया ये जानना जरूरी है।

सिब्बल ने कहा कि चीफ जस्टिस इस मामले में प्रशासनिक या न्यायिक स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं कर सकते। सभी मामले को संविधान पीठ को रेफर किया जाता है, जब कानून का कोई सवाल उठा हो, यहां फिलहाल कानून का कोई सवाल नहीं है।

उन्होंने कहा कि ये सिर्फ न्यायिक आदेश के जरिए ही संविधान पीठ को भेजा जा सकता है, प्रशासनिक आदेश के जरिए नहीं। हमें वो आदेश चाहिए कि किसने इस याचिका को पांच जजों की पीठ के पास भेजा। हम आदेश मिलने के बाद इसे चुनौती देने पर विचार करेंगे।

जस्टिस चेलमेश्वर, गोगोई, लोकुर और जोसेफ इसलिए नहीं

संविधान के जानकारों के मुताबिक इस मामले में कानूनी पेंच तो पहले भी यही था कि आखिर चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का मामला है, लिहाजा वो तो इसे सुन नहीं सकते। इसके अलावा वरिष्ठता क्रम में नंबर दो यानी जस्टिस चेलमेश्वर, नंबर तीन जस्टिस रंजन गोगोई, नंबर चार जस्टिस मदन बी लोकुर और नंबर पांच जस्टिस कुरियन जोसफ ने प्रेस कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस के खिलाफ अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए थे। इस वजह से वो सभी इस मामले में पक्षकार बन चुके हैं। ऐसे में नंबर छह से ही बात शुरू हुई।

क्या है कांग्रेस का तर्क

कांग्रेस का कहना है कि राज्यसभा के सभापति को कानून और संविधान की एक जानी-मानी हस्ती सहित कम से कम तीन लोगों की कमेटी बना कर महाभियोग प्रस्ताव की जांच करानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ये फैसला कमेटी बनाने या उसकी ओर से रिपोर्ट आने से पहले ही ले लिया। अदालत में इसी बात को चुनौती दी गई है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk