हिसार

एसपी ने अपने कार्यालय में बुला लिया महिला आयोग,प्रोटोकॉल के तहत आयोग का दर्जा है एसपी से बड़ा

हिसार (राजेश्वर बैनीवाल)
हरियाणा महिला आयोग की संयुक्त बैंच ने वीरवार को हिसार में महिलाओं से संबंधित मामलों की सुनवाई की लेकिन यहां भी आयोग की सुनवाई पर पुलिस की लीपापोती भारी पड़ी। पुलिस की लीपापोती के आगे आयोग की संयुक्त बैंच भी असहाय नजर आई। हद तो तब हो गई जब लघु सचिवालय में सुनवाई के लिए उपायुक्त हॉल की तरफ जा रही चेयरपर्सन प्रतिभा सुमन व सदस्य सुमन बेदी को पुलिस अधीक्षक का संदेश मिला और उन्हें पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जलपान के लिए बुला लिया गया। उपस्थित सारे लोग हक्के-बक्के रह गये कि आखिर आयोग का दर्जा बड़ा है या पुलिस अधीक्षक का।
हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन प्रतिभा सुमन, वाइस चेयरपर्सन प्रीति भारद्वाज एवं सदस्य सुमन बेदी का हिसार में सुनवाई का दिन निर्धारित था। आयोग को कुल 35 मामलों की सुनवाई करनी थी, जिनमें मुख्य रूप से दहेज प्रताडऩा, पुलिस व परिजनों की प्रताडऩा, रेप, फ्रॉड़, जमीनी विवाद, हत्या, हत्या प्रयास व घर में आग लगाने जैसे मामले शामिल थे। जाहिर है हर मामला पुलिस से जुड़ा हुआ है और आयोग में मामला जाने से पहले पुलिस ने भी अपने हिसाब से इन मामलों में जांच पड़ताल की थी। ऐसे में आयोग को रिपोर्ट भी पुलिस से लेनी थी। लगभग हर शिकायत में पुलिस ने लीपापोती का भरसक प्रयास किया और अधिकतर शिकायतकर्ताओं के निशाने पर भी पुलिस रही। पुलिस की लीपापोती के आगे महिला आयोग भी असहाय नजर आया और उसे मामलों का निपटारा करने की बजाय आगे की सुनवाई के लिए लिखना पड़ा।

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कृष्णा नगर से जुड़े एक मामले में तो बुजुर्ग महिला ने रोते हुए पुलिस की एएसआई तक पर आरोप जड़े कि उक्त एएसआई आरोपियों से साजबाग होकर उसके घर आई और आरोपियों की गाड़ी में ही डालकर उसे पुलिस थाने ले गई। वह अपनी दुधमुंही पोती को लेकर गई थी लेकिन कुछ देर बाद पुलिस ने पोती को भी उससे अलग कर दिया और आरोपियों को कहा कि बच्ची को यहां से ले जाओ। बुजुर्ग महिला, जिसके पति व एक पुत्र का देहांत हो चुका है ने रोते हुए अपनी व्यथा आयोग को बताई, आयोग ने सुनवाई करके उन्हें राहत देने का प्रयास भी किया लेकिन पुलिस कार्रवाई यहां भी आयोग पर भारी पड़ी।
नदारद रही अधिकतर शिकायतकर्ता
महिला आयोग में महिलाओं से संबंधित 35 मामलों की सुनवाई हुई वहीं इनके बाद अन्य शिकायतें भी ली गई लेकिन 35 मामलों में अधिकतर की शिकायतकर्ता नदारद रही। नदारद शिकायतकर्ताओं से चेयरपर्सन प्रतिभा सुमन व वाइस चेयरपर्सन प्रीति भारद्वाज ने उनके मोबाइल पर फोन करके उनका पक्ष जाना और उन्हें न्याय देने का प्रयास किया। यहां भी एक बात यह सामने आई कि उन्हें पुलिस ने ठीक ढंग से बताया ही नहीं कि आयोग के समक्ष सुनवाई होनी है। आयोग चेयरपर्सन ने जब इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से पूछा तो वे बगले झांकते नजर आए।
सदस्य बेदी जता चुकी है पुलिस पर नाराजगी
जनता, खासकर महिलाओं को न्याय देने के मामले में पुलिस कितनी संजीदा है, यह पीडि़त महिलाओं से ज्यादा कोई नहीं जानता लेकिन आयोग की सदस्य सुमन बेदी भी इससे अनभिज्ञ नहीं है। पिछले दिनों में नारनौंद में मासूम बच्ची से हुए दुष्कर्म मामले में हांसी पुलिस अधीक्षक द्वारा उनका मोबाइल फोन रिसीव न किये जाने को वे सार्वजनिक रूप से बयां कर चुकी है, इसके बावजूद पुलिस अधीक्षक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई वहीं हिसार पुलिस जिला भी हांसी से कम नहीं है। आज की सुनवाई के दौरान भी सदस्य सुमन बेदी पुलिस जांच के हर पहलू पर नजर रखे रही।
एसपी ने बुला लिया आयोग को
हिसार में सुनवाई के लिए पहुंचे महिला आयोग को एसपी ने अपने कार्यालय में बुला लिया। प्रोटोकॉल के तहत आयोग का दर्जा डीसी व एसपी से बड़ा होता है और किसी मामले की सुनवाई के दौरान आयोग डीसी व एसपी को तलब कर सकता है लेकिन हिसार में अलग ही नजारा सामने आया। यहां पर एसपी ने आयोग को बुला लिया और अपने कार्यालय में ही जलपान करवाया। हद तो तब हो गई जब वापिस आते समय भी एसपी ने आयोग के साथ सुनवाई में आना उचित नहीं समझा और अपने मातहत डीएसपी भेजकर काम चला दिया। एसपी द्वारा आयोग को बुलाये जाने की चर्चा पूरे सचिवालय में चल रही है और लोग हैरानी से पूछ रहे हैं कि आखिर आयोग बड़ा है या एसपी।

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