हरियाणा

इतिहास दोहराएगा…चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दिपेंद्र सिंह हुड्डा होंगे कांग्रेस से बाहर

चंडीगढ़,

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दिपेंद्र सिंह हुड्डा अब कांग्रेस में थोड़े ही समय के मेहमान लग रहे है। आदमपुर उपचुनाव के दौरान बापू—बेटे की इस सुपरहिट जोड़ी के कांग्रेस से बाहर जाने का रस्ता भी साफ दिखाई देने लगा। कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और किरण चौधरी ने जिस प्रकार से किनारा किया उससे साफ है कि कांग्रेस को अपनी जेब की पार्टी बनाने की कोशिश अब पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को काफी भारी पड़ने वाली है। राजनीतिक हलको में अब चर्चाएं चल पड़ी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक ये कांग्रेस से बाहर मिलेंगे।

चर्चाओं के साथ कांग्रेस का इतिहास भी जुड़ा है। हरियाणा कांग्रेस में जब—जब बाप बेटे की जोड़ी हिट हुई है, उन्हें पार्टी से बाहर जाना पड़ा है। सबसे पहले बात करते है चौधरी बंशीलाल और सुरेंद्र सिंह की। 1990 के दशक के आसपास चौ.बंशीलाल और सुरेंद्र सिंह कांग्रेस में हेवीवेट हो गए थे। वे कांग्रेस हाईकमान को अपनी ताकत दिखाने लगे थे। इसके चलते कांग्रेस हाईकमान ने चौ.भजनलाल को फ्री हेंड दे दिया। चौ.भजनलाल ने इस मौके को कैच कर लिया। इसके चलते चौ.बंशीलाल और सुरेंद्र सिंह पार्टी में साइड लाइन लगने आरंभ हो गए। हालात ये आ गए कि चौ.बंशीलाल और सुरेंद्र सिंह को 1996 में कांग्रेस को छोड़कर हरियाणा विकास पार्टी का गठन करना पड़ा।

इसके बाद 2005 के आम चुनाव पर आते है। इस दौरान चौ.भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस काफी बड़े कद के नेता बन गए थे। चौ.भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई ने इस चुनाव में अपने समर्थकों को जमकर टिकट बांटी। कुलदीप बिश्नोई इस दौरान राहुल गांधी के काफी करीब हो गए थे। लेकिन चौधरी भजनलाल और सोनिया गांधी की ट्यूनिंग ज्यादा दमदार नहीं थी। इसका कारण था नरसिम्हा राव की सरकार में चौधरी भजनलाल का योगदान। हरियाणा में 2005 का आम चुनाव कांग्रेस को चौधरी भजनलाल ने अपने दम पर लड़ाया। कुलदीप बिश्नोई उस चुनाव में स्टार प्रचारक के रुप में पूरे प्रदेश में घुम रहे थे। उस चुनाव में बाप—बेटे की ये जोड़ी सुपरहिट रही। 68 सीट कांग्रेस के खाते में आई। लेकिन जब सीएम बनाने की बारी आई तो सोनिया गांधी ने चौधरी भजनलाल को दरकिनार कर रोहतक से सांसद चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बना दिया। इसका कारण ये ही था कि कांग्रेस हाईकमान को लगने लगा था कि यदि चौ.भजनलाल को इस बार सीएम बना दिया तो इनका कद हाईकमान से भी ज्यादा बड़ा हो जायेगा। इसी के चलते कांग्रेस हाईकमान ने सीएम का पद भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दे दिया। इससे नाराज होकर चौ.भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई ने 2007 में कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी (हजकां) बनाई।

अब ये दोनों इतिहास एक बार फिर से दोहराते हुए दिखाई देना लगा है। चौ. बंशीलाल और सुरेंद्र सिंह तथा चौ.भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई की तरह वर्तमान समय में चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दिपेंद्र सिंह हुड्डा आज कांग्रेस हाईकमान पर लगातार दवाब बनाने का काम कर रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस इन दोनों बाप—बेटे की जेब में आ चुकी है। कांग्रेस हाईकमान ने अब इन दोनों बाप—बेटे की जोड़ी को किनारे लगाने का प्लान बनाना आरंभ कर दिया है। रणदीप सुरजेवाला को अब कांग्रेस हाईकमान आगे लाने का प्रयास कर रहा है। हुड्डा का जी23 में शामिल होना गांधी परिवार को काफी अखर रहा है। कयास लगाए जा रहे है कि 2024 तक के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस हाईकमान चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दिपेंद्र सिंह हुड्डा को खुड्डे लाइन लगाने का प्लान धरातल पर लाने की तैयारी है। वहीं कुछ रणनीतिकारों का कहना है कांग्रेस लोकसभा चुनाव चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में लड़ेंगे। अगर परिणाम सार्थक रहे तो बाप—बेटे की जोड़ी विधानसभा चुनावों में उतारी जायेगी लेकिन सीएम पद पर रणदीप सुरजेवाला को आगे कर दिया जायेगा। ऐसे में आने वाले समय में चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दिपेंद्र सिंह हुड्डा अगर अपनी अलग से नई पार्टी बना लेते है तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

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