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भाजपा राज में कागजों में बची बेटियां

गुड़गांव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या काफी कम होने पर चिंता जताते हुए प्रदेश से बेटी बचाओं अभियान की शुरुआत की थी। अभियान के शुरु होने के बाद हरियाणा में तेजी से लड़कियों की संख्या बढ़ी। आंकड़े लगातार बढ़ने से प्रदेश के मुखिया काफी खुश भी हुए। सीएम मनोहर लाल ने अपने हर मंच से बेटियों को बचाने के आंकड़े पेश करते हुए ​इसे सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी भी करार दिया। लेकिन मामले की आॅ​डिट होने पर बहुत घोलमाल सामने आया। आॅडिट में साफ हुआ कि लड़कियों की संख्या महज कागजों में ही बढ़ी है। हकीकत आंकड़ों से काफी अलग हैं।

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कैंपेन टीम ने  राज्य के 10 में से 8 जिलों की ऑडिट रिपोर्ट में यह सामने आया है कि इस साल की पहली तिमाही में कागजों पर लड़कियों की संख्या में काफी गड़बड़ी है। कुछ मामलों में लड़कियों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर लिखी गई है। बाकी मामलों में नवजात लड़कियों की संख्या इस तिमाही में दर्ज की गई है जबकि नवजात लड़कों की संख्या अगली तिमाही में दर्ज की गई है ताकि फाइनल आंकड़ों में लड़कियों की संख्या बढ़ाकर दिखाई जा सके।

ऑडिट में पता चला कि जनवरी-मार्च की तिमाही में लड़कियों की संख्या लड़कों से भी पार ले जाने वाले पानीपत की असल तस्वीर तो कुछ और ही है। 1,007 लिंगानुपात के साथ दूसरे नंबर पर रहने वाले पानीपत जिले का असल अनुपात 872 है। यहां लड़कियों की संख्या में कागजों पर सीधे 135 नंबर की बढ़ोतरी कर दी गई। 968 लड़कियों के साथ लिंगानुपात में तीसरे नंबर के जिले नरनौल का असल नंबर 841 निकला। इसी तरह झज्जर में कागजों पर 845 की जगह 949, सोनीपत में 870 की जगह 948, कैथल में 890 की जगह 939 और फरीदाबाद में 872 की जगह 926 नंबर दर्ज था। हिसार में  लिंगानुपात 933 दर्ज था, जबकि असल अनुपात 932 है। इसके उलट गुड़गांव में नंबर घटाकर दिखाया गया है। यहां दर्ज लिंगानुपात 891 था जो कि ऑडिट के बाद 898 निकला।

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