धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से —36

एक समय की बात है, एक शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए आया । उसे कुछ पक्षियों को पकड़ने की इच्छा हुई। उसने जंगल में कबूतरों का एक झुंड देखा, जो दाने की तलाश में इधर -उधर उड़ रहा था । उस शिकारी ने कबूतरों को पकड़ने के लिए चावल के दाने फैला दिए और उसके उपर जाल बिछा दिया। शिकारी खुद एक पेड़ के पीछे छुप गया । दाने देखते ही कबूतर एक-एक करके दाने चुगने के लिए आने लगे । इसी बीच कबूतरों के मुखिया ने उन कबूतरों को समझाया के इन दानो के बीच कुछ गड़बड़ लग रही है। इसीलिए हमें सावधान रहना चाहिए यह दाने नहीं चुगने चाहिए, लेकिन सभी कबूतर बहुत ज्यादा भूखे थे।

इसीलिए उन्हें अपने मुखिया की बात नहीं मानी और दाना चुगने के लिए चले गए। जैसे ही सभी कबूतर दाना चुगने लगे वह सभी जाल में फंस गए। अब उन्हें अपने मुखिया की बात न मानने का गम हो रहा था और पछता रहे थे। सभी कबूतर जाल में फंसते ही फड़फड़ाने लगे। पर कुछ ही देर में यह फड़फड़ाना भी बंद हो गया सभी हिम्मत हार चुके थे।

लेकिन कबूतरों का मुखिया अब भी जाल में फंसे कबूतरों की मदद कर रहा था । मुखिया कबूतर ने जाल में फंसे कबूतरों से कहा, हिम्मत मत हारो..यह जाल इतना भी ताकतवर नहीं है कि एकता की शक्ति को हरा सके । मुखिया ने उन्हें एक दिशा में एक साथ उड़ने की सलाह दी। सभी कबूतर एक साथ ही एक दिशा में उड़ने लगे । एक साथ ज्यादा बल लगने के कारण जाल भी उनके साथ उड़ रहा था।

कबूतरों ने कुछ चूहों को देखा और सभी कबूतर उस तरफ उड़ने लगे। कबूतरों ने उन चूहों को सारी घटना के बारे में बताया और जाल को काटकर उन्हें आजाद करने के लिए कहा। चूहों को कबूतरों पर तरस आ गया और चूहों ने जाल को कुतर दिया । इस तरह सभी कबूतर चूहों का धन्यवाद करके आसमान में उड़ गए ।
प्रेमी सुंदरसाथ जी, मुश्किल हालातों में एक साथ मिलकर बड़ी से बड़ी मुश्किल पर काबू पाया जा सकता है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk