आदमपुर (अग्रवाल)
फर्जी प्रमाण-पत्र के आधार पर सरपंच बनी असरावां की सरपंच राजबाला को जिला उपायुक्त ने लिखित आदेश देते हुए पद से बर्खास्त कर दिया है। जिला उपायुक्त ने उक्त सरपंच को पहले ही निलंबित किया हुआ था। यह जानकारी देते हुए शिकायतकर्ता गांव असरावां निवासी राजीव पुत्र मदनलाल ने बताया कि उक्त सरपंच ने चुनाव लडऩे के लिए भठिंडा के एक स्कूल के मालिक से रुपये देकर फर्जी प्रमाणपत्र हासिल किया था।
इसे स्कूल मालिक ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्वीकार भी किया था। इसके साथ ही प्रशासनिक जांच में भी डिग्री फर्जी पाई गई, जिसके आधार पर यह साबित हुआ कि असरावां की सरपंच राजबाला फर्जी डिग्री के आधार पर सरपंच बनी थी। राजीव ने बताया कि ग्राम पंचायत असरावां की वर्तमान सरपंच राजाबाला ने फर्जी प्रमाण-पत्र के आधार पर ग्राम पंचायत असरावां के सरपंच पद का चुनाव लड़ा, जिसमें वह जीत गई थी।
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने सरपंच राजबाला के आठवीं के प्रमाण-पत्र संबंधी आरटीआई लगाई तो उसमें खुलासा हुआ कि राजबाला ने भठिंडा के जनता मिडल स्कूल से फर्जी प्रमाण-पत्र बनावाया हुआ है और उसी के आधार पर चुनाव लड़ा। इस आधार पर उन्होंने इसकी शिकायत जिला उपायुक्त, पंचायत एवं विकास अधिकारी तथा जिला पुलिस अधीक्षक सहित अन्य उच्चाधिकारियों को की। इस पर जिला उपायुक्त द्वारा मामले की पूरी जांच के आदेश दिए और राजबाला को निलम्बित करते हुए उसके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
निलम्बन आदेश मेें उपायुक्त ने उक्त निलम्बित सरपंच को ग्राम पंचायत का प्रभार बहुमत रखने वाले पंच को सौंपने के आदेश दिए थे। इस मामले में राजबाला ने सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया जिसमें फर्जी प्रमाण पत्र संबंधी पुष्टि हुई जिसमें स्कूल संचालक ने 28 हजार रुपये में फर्जी प्रमाण पत्र देने की बात स्वीकार की जो मीडिया में भी प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था। इस मामले में जनता मिडल स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा चुकी है।
राजीव ने बताया कि आरोपी सरपंच ने जांच से बचने के लिए अनेक झूठे साक्ष्य उपायुक्त महोदय के सामने प्रस्तुत किए जिन्हें जिला उपायुक्त निराधार मानते हुए सरपंच की बर्खास्तगी के आदेश दे दिए।