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ओशो : पतंजलि योगसूत्र

यह परमात्मा है जो तुम्हारे पास लाखों ढंगों से आता है। जब कोई स्त्री तुमको देख कर मुस्कुराती है तब याद रखो, यह परमात्मा है जो एक स्त्री के रूप में मुस्कुरा रहा है। जब कोई पुष्प अपनी पंखुड़ियां खोलता है, देखो, निरीक्षण करो—परमात्मा ने अपना हृदय एक पुष्प के रूप में खोल दिया है। जब कोई पक्षी गीत गाना आरंभ करे, उसको सुनो—परमात्मा तुम्हारे लिए गीत गाने के लिए आया है। यह सारा जीवन दिव्य है, पवित्र है। तुम सदैव पवित्र भूमि पर हो। जहां कहीं भी तुम देखते हो, यह परमात्मा है। जिसको तुम देखते हो, जो कुछ भी तुम करते हो, यह परमात्मा के लिए करते हो। तुम जो कुछ भी हो तुम परमात्मा के लिए भेंट हो। मेरा अभिप्राय यही है, जीवन को जीयो, जीवन का आनंद लो, क्योंकि यही परमात्मा है। और वह तुम्हारे पास आता है और तुम उसका आनंद नहीं ले रहे हो। वह तुम्हारे पास आता है और तुम उसका स्वागत नहीं कर रहे हो। वह आता है और उसको तुम उदास, अकेले, अरुचि से भरे हुए और मंदमति के रूप में मिलते हो।
नाचो, क्योंकि हर क्षण वह अनंत ढंगों से, लाखों रास्तों से, हर दिशा से आ रहा है। जब मैं कहता हूं जीवन को परिपूर्णता में जीयो, तो मेरा अभिप्राय है, जीवन को इस भांति जीयो जैसे कि यह परमात्मा है। और इसमें प्रत्येक बात समाहित है। जब मैं कहता हूं जीवन, तो सभी कुछ समाया हुआ है इसके भीतर। काम सम्मिलित है, प्रेम सम्मिलित है, क्रोध सम्मिलित है, सब कुछ समा गया है। कायर मत बनो। बहादुर बनो और जीवन को इसकी परिपूर्णता में, इसकी पूरी सघनता में स्वीकार कर लो।

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