राजस्थान

कबाड़ी के दुकान से मिले 2000 आधार कार्ड, पुलिस भी देखकर हो गई हैरान

जयपुर,
जयपुर के जालूपुरा थाना क्षेत्र में गुरुवार(14 जून) को कबाड़ी की एक दुकान से लगभग 2000 आधार कार्ड मिले है। पुलिस ने बताया कि किसी व्यक्ति ने कबाड़ी को पुराने अखबार बेचे थे और अखबारों के ढेर में एक बोरे में लगभग 2000 आधार कार्ड पाये गये है। थानाधिकारी लिखमाराम ने बताया कि बोरा आधार कार्ड पोस्ट के जरिये बांटने वाला पार्सल प्रतीत होता है। आधार कार्ड को स्थानीय क्षेत्र में वितरित किया जाना था, लेकिन इसकी जांच की जा रही है कि आधारकार्ड का बोरा सामान्य पोस्ट आफिस कार्यालय से कबाड़ी के पास कैसे पहुंचा।

कबाड का काम करने वाले इमरान को जब आधार कार्ड का बोरा मिला तो उन्होंने इस बारे में स्थानीय लोगों और जयपुर नगर निगम के पार्षद इकरामुद्दीन को बताया। उन्होंने बताया कि इस बारे में पुलिस और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है। पुलिस ने बताया कि आधार कार्ड के बारे में पोस्टल विभाग के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है और इस बात की जांच की जा रही है की इतनी बडी संख्या में आधार कार्ड किस तरह कबाड़ में पाये गये। बोरे से निकले इन प्रत्येक आधार कार्ड पर डाक विभाग से डिस्पैच होने की मुहर और 5-5 रुपये की डाक टिकट लगी हुई थी। रद्दी में आधार कार्ड मिलने की सूचना के बाद स्थानीय पार्षद इकरामुद्दीन भी मौके पर पहुंचे और डीओआईटी में सूचना दी गई।

जानकारी के अनुसार रद्दी में बेचे गए आधार पिछले साल की पहली तिमाही में कार्ड के हकदार के यहां डिस्पेच के लिए जारी हुए थे। लेकिन आधार नामांकन करवाने वालों की जगह कबाड़ी तक पहुंच गए। कबाड़ी के पास मिले अधिकांश आधर की डिस्पेच तारीख जनवरी 2017, मार्च और अप्रैल 2017 दर्ज है।

कबाड़ी इमरान ने बताया कि एक अनजान व्यक्ति बोरे में ऊपर रद्दी कागज डालकर पूरा बोरा बेच गया था। जब बोरे से रद्दी निकाली तो नीचे आधार नजर आए। फिलहाल इस मसले पर डीओआईटी की ओर से कोई बयान जारी नहीं हुआ है। मामला शहर के जालूपुरा इलाके का है। जहां छोटी मस्जिद के पास स्थित एक कबाड़ की दुकान पर यह आधार कार्ड रद्दी के भाव बिकने आए थे। इसका पता चलने पर कबाड़ की दुकान पर काफी भीड़ इकट्‌ठा हो गई। मामले का पता चलने पर वार्ड नंबर 76 के स्थानीय कांग्रेसी पार्षद इकरामुद्दीन मौके पर पहुंचे।

उन्होंने इन आधार कार्ड को अपने कब्जे में लेकर इनमें लिखे टेलीफोन व मोबाइल नंबरों पर फोन कर कुछ लोगों से बातचीत की। बातचीत से पता चला कि लोग इन आधार कार्ड का अपने घर पर आने का इंतजार कर रहे थे। इसमें घरेलू महिलाएं, कर्मचारी, युवा और नौकरीपेशा वर्ग से जुड़े लोग शामिल थे।

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