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मेरा बेटा शहीद हो गया, लेकिन अपने बच्चों को सेना में भेजना बंद ना करें: औरंगजेब के पिता

श्रीनगर,
मेरा बेटा मर गया, लेकिन अगर सभी लोगों ने अपने बच्चों को सेना में भेजना छोड़ दिया तो फिर देश के लिए कौन लड़ेगा। मेंढर-पुंछ सड़क पर स्थित सैलानी गांव में अपने एक मंजिला मकान के नजदीक पेड़ की छांव में मोहम्मद हनीफ अपने 24 साल के बेटे औरंगजेब का इंतजार कर रहे हैं। 14 जून की सुबह जब औरंगजेब ईद मनाने के लिए अपने घर राजौरी जा रहे थे कि उसी दौरान पुलवामा के कालम्पोरा से आतंकवादियों ने उनका अपहरण कर लिया था। 14 जून की शाम ही पुलिस और सेना के संयुक्त दल को औरंगजेब का शव कालम्पोरा से करीब 10 किलोमीटर दूर गुस्सु गांव में मिला था। उनके सिर और गर्दन पर गोलियों के निशान थे।

4 जम्मू – कश्मीर लाइट इन्फेंटरी के औरंगजेब फिलहाल शोपियां के शादीमार्ग स्थित 44 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। ‘जेबी’ ईद के लिए अपने घर के रास्ते में था, और उनके पिता हनीफ अब खुद को उजड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं। लेकिन अब भी सेना से रिटायर हुए 55 साल के हनीफ खुद को मजबूत बताते हुए कहते हैं कि वे टूटे नहीं हैं। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मौत एक दिन आनी है। मैंने उसे देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती किया था। एक सैनिक का काम है कि वो दुश्मनों का खात्मा करे या फिर शहीद हो जाए।’

हनीफ और राज बेगम की 10 संतानों में जिसमें 4 लड़कियां भी हैं, औरंगजेब चौथे नंबर पर था। हनीफ का बड़ा बेटा मोहम्मद कासिम सेना में कार्यरत है, जबकि उसके दो छोटे बेटे मोहम्मद तारिक और मोहम्मद शबीर सशस्त्र सेना में शामिल होने के लिए तैयार हैं। तारिक ने लिखित एवं शारीरिक परीक्षा पास कर ली है और 22 जून को होनेवाले मेडिकल टेस्ट के लिए पुणे में था। शबीर ने शारीरिक एवं मेडिकल परीक्षा की बाधा को पार कर लिया है और लिखित परीक्षा की तैयारी कर रहा है जो कि 27 जुलाई को होना है। पिता हनीफ ने कहा, ‘हमारा सैनिकों का परिवार है।’ लेकिन उनके घर के भीतर, औरंगजेब की मां राज बेगम गमगीन हैं। हनीफ ने कहा कि 14 जून की शाम करीब 4:30 बजे इलाके में तैनात एक सैन्य यूनिट से उन्हें बेटे के अपहरण की जानकारी मिली।

उन्होंने कहा, ‘मेरे मोबाइल पर एक फोन आया जिसे पत्नी ने उठाया। फोन पर दूसरी ओर से उर्दू में मेरे बारे में पूछा गया, तो उसने फोन काट दिया, जिसके बाद मेरी बीवी और मैं नजदीक के कासबलारी गांव गए। बाद में मैंने उसी नंबर पर फोन किया. मुझे पता चला कि यह फोन राष्ट्रीय रायफल्स से आया था… उन्होंने मुझे बताया कि औरंगजेब का अपहरण हो गया है।’ हनीफ ने कहा, ”मैंने उसी वक्त अपनी पत्नी को बताया, ‘जेबी नू मिलिटेंट ले गए’। सेना ने मुझे 14 जून को आधी रात के करीब उसकी (औरंगजेब की) हत्या के बारे में जानकारी दी, लेकिन राज (पत्नी) को इसका पता 15 जून की सुबह में चला जब घर पर रिश्तेदार आने शुरू हुए।”

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