दरभंगा,
जिले में दो बेटियों ने मैट्रिक परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया है। दरभंगा के गोसलावर गांव की दो बेटियों ने कामयाबी हासिल की है और गांव पर लगे कलंक को धोकर दिया है। दरअसल गोसलावर गांव की दो बेटियों ने मैट्रिक परीक्षा में सफल होकर गांव से नॉन मैट्रिक होने के दाग को मिटा दिया है।
आजादी के 70 साल बाद गांव की दो बेटी नेहा और पूजा ने मैट्रिक परीक्षा में सफलता हासिल कर इतिहास रच डाला है। दोनों बेटियों ने गांव के मान को भी बढ़ाया है। दरअसल आजादी के 70 साल बाद भी गांव में एक भी व्यक्ति मैट्रिक पास नहीं था। लेकिन इस साल गांव की नेहा और पूजा ने मैट्रिक परीक्षा में सफल हुई है।
गांव से चार लड़कियों ने परीक्षा का फॉर्म भरा था जिसमें नेहा और पूजा ही सफल हुई हैं। मैट्रिक के रिजल्ट निकलने के बाद से गांव में खुशी का माहौल है। नेहा और पूजा को बधाई देने के लिए लोगों की भीड़ उमर पड़ी थी। सभी उसे मिठाईयां खिला रहे थे। लोगों में खुशी है कि बेटियों ने गांव के इतिहास को बदल डाला है।
अब तक जो गांव पर नन मैट्रिक का दाग लगा था उसे बेटियों ने हमेशा के लिए मिटा दिया है। पूरा गांव पूजा और नेहा पर गौरव कर रहा है। हालांकि नेहा और पूजा को इस कामयाबी तक पहुंचने में काफी मेहनत करनी पड़ी है। एक गरीब परिवार की बेटी को पढ़ाई के लिए काफी मुश्किलें उठानी पड़ी। स्कूल जाने के लिए उन्हें कभी पैदल दूरी तय करनी होती थी तो कभी टेंपो का सहारा लेती थी।
स्कूल दूर होने के कारण माता-पिता उन्हें भेजने से कतराते थे। लेकिन उनके जुनून को देख कर माता-पिता ने भी उनका साथ दिया। नेहा के पिता कन्हैया सहनी एवं मां शोभा देवी अन्य बच्चों को भी पढ़ते हुए देखना चाहती हैं। वहीं, पूजा कुमारी के पिता बिंदा साहनी एवं मां नलिया देवी को अब जल्द ही अपने गांव में स्कूल खुल जाने की उम्मीद जगी है।
गोसलावर गांव के प्रति प्रशासन की सुस्ती साफ दिख रही है। अब तक अधिकारियों को पता भी नहीं है कि बच्चों के लिए यहां स्कूल नहीं है। और न ही आज तक जानने की कोशिश भी की है। ऐसे में इस गांव के बच्चों को भविष्य काला दिख रहा है, लेकिन पूजा और नेहा ने इस अंधेरे में वह दीप जला दिया है जिससे लोगों के दिन में रौशनी की उम्मीद जग गई है। देखना यह कि सरकार और प्रशासन इस रौशनी को कितना बढ़ावा देती है।