हिसार

नहर में पानी..जलघर के टैंक भी लबालब..लेकिन फिर भी शाहपुर ग्रामीणों के हलक सूखे

हिसार,
शहर के नजदीकी गांव शाहपुर में पिछले लंबे समय से पेयजल समस्या बनी हुई है। ऐसा नहीं है कि गांव के बुस्टिंग स्टेशन में पानी नहीं है, बल्कि नहर में पानी आने के बाद से बुस्टिंग स्टेशन के टैंक से भरे हुए हैं। फिर भी गांव के विभिन्न इलाकों में पेयजल सप्लाई सुचारू नहीं की जा रही है। पेयजल की इस किल्लत पर शहीद भगत सिंह युवा संगठन शाहपुर ने भारी रोष व्यक्त किया है।

संगठन के पूर्व प्रधान रणधीर सिंह बैनीवाल ने बताया कि गांव के बुस्टिंग स्टेशन में बालसमंद ब्रांच से जुड़ी कबीर माइनर से पानी डाला जाता है। नहर में पानी आए हुए तीन दिन से अधिक समय हो चुका है। ऐसे में बुस्टिंग स्टेशन के टैंकों में भी पानी पहुंच गया है। लेकिन बुस्टिंग स्टेशन के कर्मचारियों की मनमानी के चलते गांव के विभिन्न इलाकों में पेयजल सप्लाई सुचारू तरीके से नहीं की जा रही। विशेष तौर पर हरिजन मोहल्ला व उंची जगह पर पानी नहीं पहुंच रहा है। जिसके चलते महिलाओं को मजबूरीवश बुस्टिंग स्टेशन से मटकों में तथा ग्रामीणों को बैलगाड़ी पर पानी ढोना पड़ रहा है। इसके अलावा जिन घरों में साधन नहीं है, वे निजी टैंकरों से पानी मंगवा रहे है।

जब इस बारे में ग्रामीण बुस्टिंग स्टेशन के कर्मचारियों से बात करना चाहते हैं, तो जलघर पर कोई कर्मचारी मिलता ही नहीं। उन्होंने बताया कि गांव में पशुओं के लिए बने तालाब का भी यही हाल है। पिछले लंबे समय से तालाब में नहरी पानी नहीं डाला गया है, जिसके चलते तालाब में काले रंग की गाद जमी हुई है। इस दुषित पानी को पीकर पशु भी बीमारी के शिकार हो सकते है, क्योंकि गांव की गलियों का गंदा पानी भी इसी तालाब में जा रहा है।

उन्होंने मांग की कि इस तालाब में भी नहरी पानी डलवाया जाए तथा जलघर के कर्मचारियों को भी गांव में पानी की सुचारू सप्लाई के लिए सख्त हिदायतें दी जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ग्रामीणों की उक्त समस्या का जल्द ही समाधान नहीं हुआ तो युवा संगठन ग्रामीण महिलाओं को साथ लेकर जलघर पर ताला जड़ने पर मजबूर हो जाएगा। जिसकी सारी जिम्मेदारी जन स्वास्थ्य विभाग की होगी।

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