धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 617

एक बार एक गाय जंगल में घास खा रही थी। तभी कहीं से कुछ मक्खिया उड़कर आई और उसके ऊपर उड़ने लगी। उस गाय को घास खाने में परेशानी होने लगी। उसने मक्खियों को उड़ाने के लिए अपनी पूँछ घुमाई तो सभी मक्खिया उड़ गयी। गाय फिर से आराम से घास खाने लगी लेकिन सभी मक्खिया वापिस आ गयी और फिर से गाय को परेशानी होने लगी।

उसने कई बार पूँछ से मक्खियों को उड़ाने की कोशिश की लेकिन मक्खिया फिर से वापिस आ जाती थी और उस गाय के ऊपर उड़ने लगती थी। थोड़ी देर तक पूँछ हिलाने से उसकी पूँछ भी दुखने लगी। इस बार वह मक्खियों से बचने के लिए धूल में लेटने लगी लेकिन इससे उसकी पीठ छील गयी और उसे दर्द होने लगा।

उसका यह उपाय भी बेकार गया क्योंकि उसे मक्खियों से छुटकारा नहीं मिला था और थोड़ी देर के बाद मक्खिया फिर आकर उसकी पीठ पर बैठ गयी। तभी गाय ने देखा कि सामने एक नदी है। वह तुरंत उस नदी के पानी में चली गयी। अब सभी मक्खियों को कहीं भी बैठने की जगह नहीं मिल रही थी। वे थोड़ी देर वहीं उड़ती रही और जब कोई बैठने की जगह नहीं मिली तो वे सभी वहां से कहीं और चली गयी। थोड़ी देर के बाद गाय पानी से निकली तो उसे मक्खिया कहीं भी दिखाई नहीं दी। वह फिर से आराम से घास खाने लगी।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमें कभी भी बुरे लोगो पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए और उनसे बचने की कोशिश करनी चाहिए, नहीं तो इससे हमारा ही नुकसान होता है। यदि हम ऐसे लोगो पर ध्यान नहीं देंगे तो कुछ देर बाद वे दुसरों को ढूढ़ने लग जायेंगे और हम अपना पीछा बुराई से छुड़ा सकेंगे।

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