हिसार,
कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री प्रो. सम्पत सिंह ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने सरकारी विश्वविधालयों और सरकारी तकनीकी कॉलेजों में 600 सीटें खोकर बच्चों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। हरियाणा प्रदेश में 9 सरकारी विश्वविद्यालयों और 4 सरकारी तकनीकी शिक्षा कॉलेजों में डिग्री प्राप्त करने के लिए लगभग 4000 सीटें हैं।
उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के नियमों अनुसार 75 प्रतिशत सीटों पर दाखिले के लिए हरियाणा प्रदेश के बच्चों का अधिकार है। 15 प्रतिशत सीटे सैंट्रल कोटे से भरी जाती हैं। इन सीटों को अखिल भारतीय इंजीनियरिंग परीक्षा से भरा जाता है। इस नियम के अनुसार 600 सीटे अखिल भारतीय इंजीनियरिंग परीक्षा से भरी जानी थी, पंरतु दुर्भाग्यवश हरियाणा सरकार ने इस बार एक तकनीकी शिक्षा विरोधी फैसला करके 600 सीटों पर अखिल भारतीय इंजीनियरिंग परीक्षा में योग्यता प्राप्त हरियाणा से संबधित बच्चों पर पांबदी लगा दी। इन सीटों पर देश के हर प्रदेश का हक तो रहेगा परंतु इस परीक्षा को पास करने वाले हरियाणा के बच्चों से उनका हक छीनकर दूसरे प्रदेश के बच्चों को दे दिया।
प्रो. संपत सिंह ने कहा कि हरियाणा के कॉलेजों में सैंट्रल कोटे से आने वाले हरियाणावासियों का जो कोटा खत्म किया है उसके लिए हरियाणा सरकार तर्क देती हैं कि हमारे तकनीकी शिक्षा कॉलेजों में काफी संख्या में सीटें खाली रह जाती हैं। हरियाणा सरकार की यह बात प्रदेश के निजी कॉलेजों पर तो लागू है, क्योंकि उन निजी कॉलेजों का शिक्षा स्तर काफी गिर चुका है। निजी कॉलेजों से शिक्षा लेने के बाद बच्चों को जब कहीं भी नौकरी नहीं मिलती तो ऐसे कॉलेजों में दाखिला क्यों लेगें। इन कॉलेजों में सरकारी नियंत्रण खत्म होने की वजह से जहां शिक्षा स्तर गिर चुका है वहीं तकनीकी शिक्षा बहुत ही मंहगी भी है।
उन्होंने कहा कि अब क्योंकि हमारे बच्चों का 600 सीटों से अधिकार खत्म कर दिया तो उन बच्चों को दूसरे राज्यों में लाखों रूपये खर्च करके दाखिले के लिए सरकार ने विवश कर दिया। कई बच्चों को निजी कॉलेजों में भी निम्न स्तर की तकनीकी शिक्षा भी लेनी पड़ेगी। एक तरफ तो सरकार नारा देती है कि कौशल भारत-कुशल भारत और इसके प्रचार पर करोड़ों रूपये खर्च कर रही है और दूसरी तरफ अपने ही प्रदेश के सरकारी विश्वविधालयों ओर सरकारी तकनीकी कॉलेजों में अपनी सीटें खो रही हैं। उन्होंने सरकार से कहा कि ये प्रदेश व शिक्षा विरोधी तुगलकी फरमान तुंरत वापिस लें और खोई हुई सीटों को बहाल करें।