हिसार

अंहकार रहित जीवन जीने की कला सिखाती है भागवत: बालमुकुंद

आदमपुर,
अहंकार विनाश का कारण है। श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य को अहंकार रहित जीवन जीने की कला सिखाती है। उक्त प्रवचन मंगलवार को हाई स्कूल रोड पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन से पधारे कथा व्यास बालमुकुंद महाराज ने कहे। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का सुनने का व्यक्ति जब संकल्प करता है उसी समय परमात्मा उसके हृदय में आकर निवास कर लेते हैं। भगवान की कथा ऐसी है इसका ज्यों-ज्यों पान करते हैं त्यों-त्यों इच्छा बढ़ती जाती है। कथा रस कभी घटता नहीं निरन्तर बढ़ता रहता है। नित्य नए आनंंद की अभिवृद्धि होती रहती है। श्रीमद् भागवत अध्यात्म दीपक है जिस प्रकार एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक प्रज्जवलित हो उठते हैं उसी प्रकार भागवत के ज्ञान से हजारों, लाखों मनुष्यों के भीतर का अंधकार नष्ट होकर ज्ञान का दीपक जगमगा उठता है। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर श्रद्धालू ‘नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन पर जमकर झूमे और श्रीकृष्ण के स्वरुप के दर्शन किए। ऋषिकेश से पधारे संत ब्रह्मचारी शिववली चौबे महाराज ने द्वापरयुग में जन्में 16 कलाओं में निपुण भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा का मार्मिक वर्णन किया। कथा में डा. रविंद्र भांभू ने वासुदेव और प्रतीक ने श्रीकृष्ण की भूमिका निभाई। इस मौके पर विजय भांभू, रमेश भांभू, राजाराम, सुभाष भांभू, सुरजीत कुमार, मुकेश, शैलेंद्र, जगदीश मांजू, छबीलदास कालीराणा, ठाकरदास, साहबराम गोदारा, रामचंद्र, विनोद मांजू, आत्माराम, जगदीश भादू, पवन कुमार, ताराचंद, हरिसिंह, संजय, राहुल, कमल आदि मौजूद रहे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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