खेत—खलिहान हिसार

बागवानी से 20 लाख रुपये सालाना कमा रहा है बालसमंद का युवा दंपति

हिसार,
एक तरफ जहां देश के अलग-अलग हिस्सों से खेती में घाटे के चलते किसानों द्वारा आत्महत्या करने अथवा कर्ज में दबे होने की खबरें आती हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसे प्रगतिशील किसान भी हैं जो सूझबूझ के साथ खेती करके लाखों रुपये सालाना कमा कर वारे-न्यारे कर रहे हैं। गांव बालसमंद के ऐसे ही एक किसान दंपति हैं सुरेंद्र सिंह व मोनिका। ये दोनों उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद कभी नौकरी के पीछे नहीं भागे बल्कि अपनी पुश्तैनी जमीन में बागवानी, मछली पालन, गोबर गैस प्लांट और वर्मी कंपोस्ट यूनिट शुरू करने जैसे कदम उठाकर आज न केवल दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं बल्कि 100 से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। बागवानी में नए प्रयोगों के चलते इन्हें समय-समय पर सरकार व प्रशासन द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। अपनी जागरूकता के चलते ये सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठाते हैं।

स्नातक तक शिक्षित बालसमंद निवासी सुरेंद्र सिंह ने पढ़ाई के बाद कभी नौकरी करने का नहीं बल्कि अपनी पारिवारिक जमीन पर नए प्रयोग करके दूसरों को रोजगार देने का ख्वाब देखा। अंग्रेजी में एमए की शिक्षा प्राप्त उनकी पत्नी मोनिका ने भी इस निर्णय में उनका साथ देकर पति की राह आसान कर दी। सुरेंद्र सिंह के पास अपनी 45 एकड़ जमीन है जिस पर इन्होंने 2010 में बागवानी की शुरूआत की। इन्हें उसी समय इस बात का आभास हो गया था कि परंपरागत खेती के तहत गेहूं-धान बोने की बजाय खेती का असली भविष्य इसी आधुनिक खेती में है।

माल्टा से की शुरुआत:
सुरेंद्र सिंह व मोनिका ने 2010 में अपनी कुछ जमीन पर माल्टा के पौधे लगाए। शुरू में दो-तीन साल लगा कि आमदनी घट रही है लेकिन जब माल्टा के फलों की बिक्री शुरू हुई तो पिछली सारी कमी दूर हो गई। फिर तो इन्होंने धीरे-धीरे करके अपने 40 एकड़ खेत में किन्नू व मौसमी के पौधे भी लगा दिए। अब ये पांच एकड़ भूमि पर अमरूद व आड़ू का बाग लगाने की तैयारी कर रहे हैं। जब बाग के पौधे छोटे होते हैं तो ये उस जमीन पर मूंग, चना व ग्वार जैसी फसलें भी लेते हैं।

सब्सिडी योजनाओं का लाभ उठाया:
सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि बागवानी विभाग के अधिकारियों के समझाने और सरकार की सब्सिडी योजनाओं से प्रेरित होकर मैंने अपनी पत्नी मोनिका के साथ परंपरागत खेती की जगह बागवानी शुरू की थी। विभाग इस समय टपका सिंचाई, वाटर टैंक तथा स्प्रिंकलर आदि पर 70 से 100 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रहा है जिससे बागवानी करना अब मुनाफे का सौदा बन चुका है। यहां तक कि पौधों की देखभाल आदि के लिए भी 20 हजार रुपये प्रति एकड़ तक की सहायता सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है। सुरेंद्र कुमार ने भी बागवानी विभाग की मदद से अपने खेत में पक्का वाटर टैंक बनवाया है।

बागवानी से आमदनी:
सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि बागवानी शुरू करने पर प्रारंभ में लगता है कि आमदनी कम हो रही है परंतु बाद में अच्छा मुनाफा होता है। बागवानी करके सुरेंद्र अब सालाना 20 लाख रुपये तक की आमदनी कर रहे हैं। जब उनके खेत में लगे सभी पौधे फल देने लगेंगे तो उनकी आमदनी और अधिक बढ़ेगी। उनका कहना है कि यदि किसान सूझबूझ से काम करें तो बागवानी में कम से कम पानी की खपत करते हुए दो लाख प्रति एकड़ तक की आमदनी ले सकता है।

मार्केटिंग व्यवस्था:
सुरेंद्र सिंह अपने खेत में पैदा होने वाले फलों को गांव से 25 किलोमीटर दूर हिसार की मंडी में सप्लाई करते है । उसका कहना है कि हिसार में फलों की इतनी मांग है कि उन्हें इनकी बिक्री के लिए कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। उन्होंने बताया कि यदि किसानों का समूह बनाकर काम किया जाए तो फलों को दिल्ली-एनसीआर की मार्केट में और अधिक महंगे भावों पर बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। ये किसानों का समूह बनाकर काम करने की दिशा में भी योजना बना रहे हैं।

भविष्य में वैक्स व जूस प्लांट लगाने की योजना:
खेत में प्रतिवर्ष बढ़ती पैदावार को देखते हुए सुरेंद्र सिंह अपने खेत में कोल्ड स्टोर बनवा रहे हैं। उनका कहना है कि कोल्ड स्टोर के बिना प्रतिवर्ष 10 से 15 प्रतिशत फल खराब हो जाते हैं जिसे कोल्ड स्टोर में सुरक्षित रखकर बचत को बढ़ाया जा सकता है। वे अपने खेत में वैक्स प्लांट व जूस प्लांट लगाने पर भी विचार कर रहे हैं जहां पर वे अपने ही नहीं, दूसरे किसानों के फलों से भी जूस बना सकेंगे जिसकी बाजार में भारी मांग है और इसे फलों की बजाय लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है।

दूसरों को दे रहे रोजगार:
सुरेंद्र सिंह गांव के लगभग 100 लोगों को बागवानी के माध्यम से रोजगार देने का कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि आने वाले समय में वे नए प्रयोग करने जा रहे हैं। ऐसा करके वे और अधिक लोगों को रोजगार दे सकेंगे।

बेस्ट प्रोग्रेसिव फार्मर अवार्ड:
सुरेंद्र सिंह को हरियाणा बागवानी विभाग द्वारा जिले का बेस्ट प्रोग्रेसिव फार्मर का अवार्ड मिल चुका है। वे प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बागवानी से संबंधित सेमीनारों, गोष्ठियों, कार्यशालाओं और मेलों में भी सक्रिय रुप से भागीदारी करते हैं। जिला में बागवानी विभाग उनके माध्यम से अन्य किसानों को भी बागवानी अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

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