हिसार,
मलापुर निवासी रोहताश खिलेरी साऊथ अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी किलीमंजारो को रिकॉर्ड समय में फतेह कर देश-प्रदेश व शहर का नाम रोशन कर देर रात भारत पहुंचेगा। जहां मलापुर गांव निवासी रोहताश खिलेरी का जोरदार स्वागत करेंगे। रोहतास का अगला लक्ष्य यूरोप की सबसे ऊंची एल्बु्र्रश को फतेह करने का है। गांव मलापुर पहुंचने सरपंच महावीर जांगड़ व ग्रामीण रोहतास का भव्य स्वागत करेंगे।
इस अभियान में बने रिकॉर्ड के लिए तंजानिया सरकार ने प्रमाण पत्र और एक रिकमेडिसन लैटर दिया कि रोहताश खिलेरी ने मात्र 17 घंटे में किलिमंजारो की चोटी को फतह किया है और उन्होंने बताया कि ये सब दस्तावेज वल्र्ड रिकॉर्ड एजेंसी को देंगे। उन्होंने बताया कि उनका आगे का लक्ष्य विश्व के सात महाद्वीपों की सात चोटियों को फतह करना है अगला लक्ष्य यूरोप की सबसे ऊंची चोटी एल्ब्रुस को फतह कर भारत देश का नाम रोशन करना है इस किलिमंजारो अभियान को स्पॉन्सर फ्यूचर मेकर कंपनी के सीएमडी मिस्टर राधेश्याम और एमडी बंसी लाल सिहाग और विवेक बिश्नोई (उर्फ बबलू ) ने किया। इसके लिए उन्होंने सभी का हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने गुरु के समान भाई और बहन विकास राणा, अशोक शुक्ल, नरेंद्र यादव, अनिल भांभू, ओमी बिश्नोई, शिवांगी पाठक आदि का भी आभार जताया जिनका इस मिशन में काफी सहयोग मिला।
गांव मलापुर निवासी रोहताश खिलेरी ने इससे पहले विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को 16 मई 2018 को फतह किया था और भारत देश का नाम ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया उनका सफर बहुत ही कठिनाईयों वाला और बहुत संघर्षशील रहा। अपने अनुभवों के बारे में खिलेरी ने बताया कि उन्होंने अपना यह अभियान 21 जुलाई से शुरु किया जिसे 24 जुलाई को समाप्त किया इस अभियान में पूरे विश्व से पर्वतारोही शामिल हुए इस पूरे अभियान में मुख्यत: तीन बातें सामने आई जो कि मौसम खाना और रहना क्योंकि शरीर पूरी तरह से थकान से भर चुका था इसका मुख्य कारण जल्दी जल्दी चलना है उसके बाद में यहां का खाना, यहां का खाना हम लोगों के खाने से बहुत ज्यादा अलग है इसलिए यहां का खाना खाना बहुत बड़ा कारण था शरीर की जो शक्ति थी वह कम होती जा रही थी अतिरिक्त ठंड होने के कारण और प्यास के कारण शरीर डी हाइड्रेशन का शिकार होना शुरू हो जाता है और शरीर में थकान हो जाती है, इस अभियान को नेशनल पार्क गेट से लेकर चोटी तक मात्र 17 घंटे में पूरा किया गया, जो रिकार्ड पहले 32 घंटे का था और इस रिकार्ड में इतना लंबा समय को कम कर के इस नए कीर्तिमान स्थापित किया इस अभियान में विक्टर व रामा और राहा टीम का सहयोग रहा।