हिसार,
हरियाणा रोडवेज ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने आरोप लगाया है कि प्रदेश से भ्रष्टाचार समाप्त करने का दावा करने वाली सरकार किलोमीटर स्कीम के तहत निजी बसें चलाकर बहुत बड़े घोटाले को अंजाम देने की फिराक में है। यदि सरकार ने ऐसा किया तो यह रोडवेज विभाग का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला होगा और कर्मचारी इसे किसी कीमत पर सहन नहीं करेंगे।
ज्वाइंट एक्शन कमेटी के वरिष्ठ नेता हरिनारायण शर्मा, दलबीर किरमारा, अनूप सहरावत, जयभगवान कादियान, बाबूलाल यादव व रमेश सैनी एक संयुक्त बयान में भ्रष्टाचार के मसले पर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप जड़े। किलोमीटर स्कीम की आड़ में होने वाले भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए रोडवेज नेताओं ने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा कम से कम रेट का टेंडर भरने वाले संचालकों की बसें हायर करने की अधिसूचना जारी की गई थी, जिसका रेट साढ़े 19 रुपये प्रति किलोमीटर तय किया गया था। इससे एक-एक या दो-दो बसों वाले प्राइवेट संचालक पीछे हट गये और 100 से 150 बसों वाली निजी कंपनियों के संचालकों द्वारा सरकार के साथ सांठगांठ करके गुपचुप तरीके से रातोंरात इस रेट को 36 रुपये से 42 रुपये प्रति किलोमीटर तक बढ़वाकर स्वीकृति पत्र ले लिये, जो बहुत बड़ा घोटाला व भ्रष्टाचार है।
उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा 40 से भी अधिक श्रेणियों को मुफ्त व मामूली शुल्क पर यात्रा सुविधा देने व यात्री कर के रूप में 25 प्रतिशत सरकार में जमा करवाने के बाद एक सरकारी बस की औसत आय 23-24 रुपये प्रति किलोमीटर आती है, जबकि हायर की जाने वाली प्राइवेट बस संचालक को 36 से 42 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से भुगतान करना परिवहन विभाग के लिए बहुत बड़े घाटे का सौदा होगा। उन्होंने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि विभाग में पहले ही कर्मशाला कर्मियों व परिचालकों की कमी के कारण विभिन्न डिपुओं में लगभग 500 सरकारी बसें खड़ी है और लंबे समय से उनका संचालन नहीं हो रहा है। निजी बसें हायर करने की बजाय कर्मचारियों की भर्ती करके उपरोक्त सरकारी बसों का संचालन करवाने की बजाय निजी बसों को चलवाने में सरकार की तत्परता वास्तव में ही कई सवालिया निशान छोड़ रही है, इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार अपने खास चहेतों को फायदा पहुंचाना चाहती है।
उन्होंने कहा कि प्राइवेट बसें हायर करने के जनविरोधी निर्णय तथा 13 जून 2017 को प्राइवेट परिवहन नीति पर व 27 दिसम्बर 2017 को कर्मचारियों की मांगों पर हुए समझौते को लागू न करने के खिलाफ रोडवेज कर्मचारी 5 सितम्बर को राज्यभर में हड़ताल करके सरकार को माकूल जवाब देंगे। यदि सरकार ने बातचीत की बजाय दमनकारी नीति से हड़ताल को तोडऩे का प्रयास किया तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो सकती है, जिसकी जिम्मेवारी सरकार व परिवहन विभाग की होगी।