हिसार

पढ़े-लिखे सरपंच की प्रगतिशील सोच ने दिलाई दड़ौली को नई पहचान

आदमपुर (अग्रवाल)
हलके का गांव दड़ौली आज अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। गांव में बने पांच तालाब जो कभी गंदगी से लबालब भरे रहते थे, आज गांव की आमदनी का स्रोत बन गए हैं। बरसात के दिनों में जो स्कूल पानी से भर जाता था उसमें आज इंटरलॉकिंग रास्ते हैं और इसके पार्क में लगे पौधों पर फूल खिले हुए हैं। गांव की गलियों में एक भी आवारा पशु घूमता दिखाई नहीं देता। प्रदेश सरकार की सेवन स्टार इंद्रधनुष योजना के तहत यह गांव डबल स्टार रेटिड है। गांव से संबंधित विकास परियोजनाओं पर इस सरकार के कार्यकाल में अब तक 25 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि खर्च हो चुकी है।
दरअसल, गांव दड़ौली जिस तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है, उसके पीछे गांव के पढ़े-लिखे सरपंच दलीप सिंह मंडेरना का विजन काम कर रहा है। सरपंच की सोच गांव को आदर्श बनाने की है जिसके लिए वे गांववासियों को निरंतर प्रेरित करते हुए उनका सहयोग ले रहे हैं। ग्रामीण भी खुले मन से स्वीकारते हैं कि गांव के सुधरते हालात के पीछे सरपंच की मेहनत है।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उप निदेशक डॉ. साहिब राम गोदारा व डीआईपीआरओ पारू लता ने गांव दड़ौली का दौरा किया और सरपंच से गांव के विकास पर विस्तार से चर्चा की। सरपंच दलीप सिंह ने बताया कि उनका गांव भी पहले अन्य गांवों की भांति सामान्य गांव था। इस गांव में भी दूसरे गांवों की तरह अनेक प्रकार की समस्याएं थीं। जोहड़ों में पानी कम, गंदगी ज्यादा थी, घरों का पानी नालियों से ओवरफ्लो होकर गलियों में फैला रहता था। लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा शिक्षित सरपंचों के निर्वाचन के फैसले के बाद हुए चुनाव के पश्चात जब उन्होंने सरपंच का कार्यभार संभाला तो गांव की तस्वीर बदलने की कोशिशें शुरू कीं।
उन्होंने बताया कि उनके गांव में पांच तालाब हैं। इनमें से दो तालाब मछली पालन के लिए 70 हजार रुपये सालाना की दर से ठेके पर दिए गए हैं। ठेके की राशि में हर तीसरे वर्ष 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। इसके अलावा अन्य तालाबों की बाउंड्री वाल को मजबूत किया जा रहा है। गांव की मुख्य गली में तालाब के किनारे पेड़ों के नीचे चबूतरे बनवाए जा रहे हैं तथा मंदिर के पास पक्षियों को दाना डालने के लिए पक्का निर्माण करवाया जा रहा है। गांव में एक भी आवारा पशु नहीं घूमता है तथा ग्रामीणों के आपसी भाईचारे के कारण एक साल में केवल तीन पुलिस केस दर्ज हुए हैं।
पहले गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बरसात का पानी भर जाता था जिसके चलते मजबूरीवश बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती थी। इस समस्या से निपटने के लिए सरपंच ने 11 एकड़ में बने स्कूल की जल निकासी का उचित प्रबंध करते हुए इसके सभी रास्तों को इंटरलॉकिंग टाइलों से पक्का करवाया तथा खाली जगह पर पार्क विकसित किए, जिनमें आज फूल खिले हुए हैं। इसके साथ ही गांव की सभी गलियों को भी इंटरलॉकिंग टाइलों से पक्का करवा दिया गया है। खुद सरपंच की गली सहित चार गलियां इंटरलॉकिंग टाइलों से पक्की करवानी शेष हैं जिन्हें अब पक्का करवाया जाएगा। गांव में ग्राम सचिवालय व पशु अस्पताल है तथा 35 लाख रुपये से हाल ही में व्यायामशाला बनवाई गई है।
सरपंच दलीप सिंह ने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा की गई घोषणाओं के अनुरूप दड़ौली से मंडी आदमपुर सड़क, दड़ौली-मोडाखेड़ा सड़क, दड़ौली-भट्टू वाया चूली कलां सड़क तथा किशनगढ़ तक नई सड़क बनवाई गई है। ये सभी सड़कें पहले सिंगल थीं जिन्हें अब डबल किया गया है। इनके अलावा खाबड़ा माइनर के निर्माण पर लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं जबकि लगभग साढ़े पांच करोड़ से दड़ौली माइनर का पुनर्निर्माण कार्य करवाया जा रहा है।
सरपंच का कहना है कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने जब पंचायत चुनावों में उम्मीदवारों के लिए पढ़े-लिखे होने की शर्त रखी तो एक बार हर कोई चौंका था, इस फैसले का खूब विरोध भी हुआ लेकिन अदालत के माध्यम से सरकार ने इस फैसले को लागू करवाया जिससे प्रदेश में शिक्षित पंचायतें बनीं। वैसे देखने में चाहे यह सामान्य बात हो लेकिन इसके परिणाम हमें दूरगामी मिलेंगे। पढ़ी-लिखी पंचायतें वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा सुलझे हुए ढंग से गांव का बेहतर विकास करवाने में कामयाब हो रही हैं।

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