नई दिल्ली,
केंद्र सरकार ने एक फैसले में सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों के कार्यालयों में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर दो माह के लिए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इसके तहत कर्मचारी-अधिकारी प्लास्टिक के कप-ग्लास, बोतलें और प्लेट का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। फाइल के फोल्डर व बैनरों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के सचिव युद्धवीर सिंह मलिक ने 12 सितंबर को जारी निर्देश में परिवहन भवन, एनएचएआई मुख्यालय सहित दिल्ली के शाखा कार्यालय और राज्यों में स्थित सरकारी दफ्तरों में 15 सितंबर से दो माह के लिए प्लास्टिक का प्रयोग पूरी तरह से बंद करने को कहा है। मलिक ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा के पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2018 का विषय प्लास्टिक प्रदूषण हराना है। उल्लेखनीय है कि भारत विश्व पर्यावरण दिवस के लिए वैश्विक मेजबानी कर रहा है।
दिल्ली सरकार ने पहले ही उठाया है कदम
स्टिक कचरा कम करने के लिए दिल्ली सरकार विशेष पहल कर रही है। इसके लिए सरकारी दफ्तरों में प्लास्टिक के गिलास और पानी की बोतल आदि के प्रयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का निर्देश जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि प्लास्टिक कचरा खत्म करने की शुरुआत हमें सरकारी विभागों से करनी होगी। इसलिए एक बार प्रयोग होने वाले प्लास्टिक (पानी की बोतल, प्लास्टिक कप, गिलास, चम्मच आदि) की वस्तुओं का प्रयोग बंद करने की जरूरत है।
प्लास्टिक कचरा निकालने में दिल्ली दूसरे राज्यों से आगे
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से इसी साल जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, छह साल पहले साल 2012 में दिल्ली में प्लास्टिक की थैलियों पर पाबंदी लगा दी गई थी. इसके बाद भी दिल्ली प्लास्टिक कचरा में सबसे आगे है.
रोजाना 15 हजार 342 टन प्लास्टिक कचरा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रोजाना 15 हजार 342 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। इसमें अकेले 690 टन कचरा रोजाना सिर्फ दिल्ली से निकलता है। इसके अलावा चेन्नई में 429.4 टन, कोलकाता में 425.7 टन और मुंबई में 408.3 टन प्लास्टिक कचरा रोज निकलता है।