हिसार

जाट आरक्षण आंदोलन : हिंसा व आगजनी के 4 दोषियों को 5—5साल की सजा—पढ़े विस्तृत रिपोर्ट

हिसार,
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके जैन की अदालत ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान फरवरी 2016 में गांव सैनीपुरा के घरों में आगजनी, तोड़फोड़, पेड़ काटने और सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने वाले चार आरोपितों को सजा सुना दी है। दोषियों में सिसाय गांव के दलजीत, राजू, सूरज और विनोद शामिल हैं।
अदालत ने 4 दोषियों को 5—5 साल की सजा और 60—60 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। इन चारों को सरकारी कार्य में बाधा डालने और सम्पति को नुकसान पहुंचाने के मामले में दोषी पाया गया था।
अदालत में चले अभियोग के अनुसार इंस्पेक्टर विद्यानंद को 21 फरवरी 2016 को जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान सूचना मिली थी कि 200-250 उपद्रवी सिसाय गांव से सैनीपुरा गांव की तरफ जा रहे हैं। उपद्रवियों ने हाथों में लाठी, जेली, गंडासी और खतरनाक हथियार लिए हुए हैं। उनको माइनर पर रोककर समझाने का प्रयास किया। लेकिन वे खेत के रास्ते सैनीपुरा की तरफ भागने लगे और पुलिस पार्टी से आगे निकलकर सड़क के दोनों तरफ वन विभाग के सफेदे के पेड़ों को काटकर सड़क के बीच में डालकर सरकारी ड्यटी में बाधा पहुंचाने का काम किया।
सैनीपुरा के घरों में हुई थी आगजनी
उपद्रवी सैनीपुरा गांव के खेतों में रहने वाले लोगों की ढाणियों में पहुंचे और वहां तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी। पुलिस का कहना था कि उपद्रवियों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे। डीसी और एसपी पुलिस बल के साथ मौजूद थे। आर्मी की एक टुकड़ी कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौके पर पहुंची थी, लेकिन उपद्रवी अपनी हरकतों से बाज नहीं आए थे और गांव सैनीपुरा की तरफ बढ़ने लगे थे। उपद्रवी बार-बार रास्ते में आगजनी कर रहे थे और पेड़ डालकर पुलिस पार्टी को आगे बढ़ने से रोक रहे थे। पुलिस का कहना था कि वाटर कैनन की मदद से आग बुझाई गई थी। उपद्रवी और ग्रामीण हो गए थे आमने-सामने

उपद्रवी गांव पहुंचे तो सैनीपुरा के ग्रामीणों ने उन पर पथराव किया था। उपद्रवियों ने सरकारी गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया था। पुलिस और उपद्रवी कई बार आमने सामने हुए थे। आसू गैस के गोले छोड़े गए थे। दूसरी तरफ से पथराव हुआ था। कई लोगों को चोटें लगी थी।

हांसी सदर थाना पुलिस ने इंस्पेक्टर विद्यानंद की शिकायत पर 200-250 लोगों के खिलाफ सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने, तोड़-फोड़ करने, रास्ता रोकने, आगजनी करने, 3-पीडीपीपी और भारतीय वन अधिनियम-1927 के तहत केस दर्ज किया था।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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