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मामा ने की भांजे की हत्या, तुलसी के पौधों के कारण 32 माह तक नहीं चला किसी को पता

नई दिल्ली,
दिल्ली के एक मकान में लॉबी में 32 महीने तक एक लाश दबी रही। लॉबी में जिस जगह पर लाश दबी थी उसके ऊपर तुलसी के पौधे लहलहा रहे थे। इस बारे में किसी को पता नहीं था कि तुलसी के पौधों के नीचे लाश दबी है। हत्या की ये सनसनीखेज कहानी दिल्ली के डाबड़ी इलाके की है। यहां किराये के एक मकान में एक मामा-भांजा रहते थे। दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि मामा विजय ने भांजे जय प्रकाश को मौत के घाट उतार दिया।

भांजे को मारने के बाद इस शख्स ने एक बेहद शातिर प्लान बनाया। इस शख्स ने मकान के लॉबी में ही लाश को कुछ ऐसे केमिकल के साथ दफन किया था कि उसकी जरा सी भी दुर्गंध बाहर नहीं आई। इसके लिए उसने पहले बालकनी में करीब डेढ़ फीट तक मिट्टी डाली। उसके ऊपर ईंटे बिछाईं। फिर डेड बॉडी को रखकर उसे मिट्टी से ढका। किसी को शक न हो इसके लिए लाश ऊपर गमले रख दिए। साथ ही तुलसी के पौधे लगाए दिए ताकि किसी को शक ना हो। आरोपी विजय ने यहीं पर भांजे जय प्रकाश का जैकेट भी गाड़ दिया।

जुर्म की हर दास्तां की तरह कत्ल की ये वारदात भी हजार कोशिशों के बावजूद दफन नहीं हुई, और एक दिन कब्र तोड़कर सामने आ गया भांजे को वो कंकाल जिसने अपने कातिल मामा की दरिंदगी का पूरा कच्चा-चिट्ठा खोल दिया। दरअसल एक महीने पहले ही एक लड़की इस घर में किराये पर रहने आई। कुछ दिन बाद लड़की ने मकान मालिक से कहकर अपनी बालकनी में ग्रिल लगाने को कहा। ग्रिल लगाने के लिए लॉबी में जब काम शुरू हुआ तो मजदूरों ने गमले हटाकर यहां रखी मिट्टी की खुदाई शुरू की, इसके बाद मिट्टी से ये कंकाल बाहर आया।

इस घटना को मजदूरों ने तुरंत ठेकेदार को बताया। इसके बाद पुलिस आई और मौके से नमक की तीन बोरियां और गद्दे के साथ कंबल में लिपटे कंकाल को बरामद किया। बताया जाता है कि कत्ल की ये वारदात फरवरी 2016 की है। आरोपी मामा का नाम विजय कुमार महाराणा है, 35 साल का ये शख्स आंध्र प्रदेश का रहने वाला हैै। ये शख्स गुरुग्राम में किसी कंपनी में काम करता था। 24 साल का भांजा जय प्रकाश उसके साथ रहता था। एमबीए पास जय प्रकाश भी गुरुग्राम की एक निजी कंपनी में नौकरी करता था।

जय प्रकाश के घरवालों के मुताबिक 6 फरवरी 2016 को उनकी आखिरी उससे बात हुई थी। 7 फरवरी को आरोपी मामा ने बताया था कि वो अपने दोस्तों के साथ वैष्णो देवी गया है, लेकिन कई दिनों तक जब जय प्रकाश की कोई खबर नहीं मिली तो दबाव बढ़ने पर आरोपी मामा ने ही 12 फरवरी डाबड़ी थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज करवाया। जयप्रकाश की मां ने अपने कपड़ों के आधार पर अपने बेटे की लाश की पहचान कर ली है।

वारदात के करीब ढाई साल बाद भी पुलिस ये नहीं पता लगा पाई कि जय प्रकाश कहां है? उसके साथ क्या हुआ? उसकी हत्या क्यों की गई? आरोपी मामा काफी दिनों से ही फरार है। दिल्ली पुलिस के सामने अब चुनौती उसे पकड़ने और ये पता लगाने की है कि विजय ने जयप्रकाश की हत्या क्यों की थी?

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