हिसार

हिसार डिपो में रोडवेज का चक्का रहा जाम, नहीं चली बसें

हिसार,
हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी के आह्वान पर की गई राज्यव्यापी हड़ताल का आज हिसार डिपो में व्यापक असर नजर आया। हिसार डिपो में रोडवेज का चक्का जाम रहा। प्रशासन ने बस चलवाने की पूरी कोशिश की, लेकिन प्रशासन इसमें सफल नहीं हो पाया।
कर्मचारी नेता दलबीर किरमारा, राजपाल नैन, रमेश सैनी, राम सिंह बिश्नोई, अरूण शर्मा, सतपाल डाबला, रमेश माल व पवन बूरा ने कहा कि वो आम जनता के हित की लड़ाई सरकार से लड़ रहे हैं। राज्य सरकार कर्मचारी व जनहित के खिलाफ जाकर 720 निजी बसों को चलाना चाहती है, जिससे सरकारी खजाने को मोटा घाटा होगा। सरकार अपने चहेतों को 36 से 42 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से भुगतान करके प्रति बस से करीब डेढ़ लाख रुपए प्रति माह का लाभ देकर रोडवेज को समाप्त करने की साजिश रच र ही है।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि रोडवेज की तालमेल कमेटी के बैनर के नीचे आज सरकार के खिलाफ कर्मचारी वर्ग ने साबित कर दिया कि रोड़ वेज के कर्मचारी सरकार के डण्डे व एस्मा जैसी कार्यवाही से डरने वाले नहीं हैं। माननीय न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए बस स्टैंड परिसर से पांच सौ मीटर की दूरी निर्धारित करने के बाद भी जिला प्रशासन की पूरी ताकत का इस्तेमाल करते हुए रोड़ वेज की एक भी बस को चलाने में कामयाब नहीं हो सका। कर्मचारी नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों पर सख्ती से पेश आने प्रदेश के कई जिलों में पुलिस प्रशासन द्वारा लाठी चार्ज व एस्मा जैसी कार्यवाही करने के बाद व हजारों कर्मचारियो को हिरासत में लेने के बाद भी सरकार बसें चलाने में कामयाब नहीं हो सकी।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार दमन के रास्ते पर चलकर कर्मचारी आन्दोलनों को नहीं रोक पाएगी किसी भी समस्या का समाधान बातचीत के माध्यम से ही सम्भव है तथा कर्मचारी नेताओं ने एक बार फिर जोर देकर कहा कि रोडवेज का कर्मचारी हड़ताल पर जाना ही नहीं चाहता था। सरकार ने तालमेल कमेटी के वरिष्ठ नेताओ को बातचीत के लिए न बुलाकर साबित कर दिया है कि सरकार ही हड़ताल कराने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि सरकार 16 अक्तूबर की एक दिन की हड़ताल से सबक ले ओर तालमेल कमेटी को बातचीत के लिए बुलाऐ अन्यथा रोड़ वेज के कर्मचारी तालमेल कमेटी के बैनर के नीचे 16 व 17 अक्तूबर की दो दिवसीय हड़ताल को अनिश्चित कालीन चक्का जाम करने के लिए मजबूर होंगे जिसकी जिम्मेदार प्रदेश सरकार होगी। उन्होंने कहा कि रोडवेज कर्मचारियों की मांगों में सबसे पहली मांग 720 प्राइवेट बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत चलाने के निर्णय को वापस लेने की है। इस मांग को पूरे हुए बिना रोडवेज कर्मचारी अपने आंदोलन से पीछे हटने वाले नहीं हैं।
कर्मचारी नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि देश व प्रदेश में कोई भी वर्ग निजी बसों की मांग नहीं कर रहा फिर भी सरकार जनता की भावनाओं के खिलाफ जाकर इस कमाऊ विभाग को निजी हाथों में सौंपने का काम कर रही है। यूनियन ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने आज की हड़ताल से सबक नहीं लिया तो आने वाले समय में रोडवेज के कर्मचारी अनिश्चितकालीन चक्का जाम करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। कमेटी ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रदेश सरकार द्वारा 720 निजी बसों किलोमीटर स्कीम के तहत चलाने के फैसले को वापस ले और कर्मचारी संगठनों के साथ हुए समझौते को लागू करे।
वहीं रोडवेज की हड़ताल का राजबीर सिंधु, सुरेंद्रमान, राजबीर बैनीवाल, दीपक लोट, कुलदीप शर्मा, एमएल सहगल, का. रूप सिंह, वीएल शर्मा सहित विभिन्न जनसंगठनों ने समर्थन किया और राज्य सरकार से मांग की कि जनहित से जुड़े रोडवेज विभाग का निजीकरण करने की बजाय जनता की मांग अनुसार रोडवेज के बेड़े में 8000 बसें शामिल की जाएं ताकि प्रदेश के 6700 गांवों के लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा मिल सके।

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