हिसार

रोडवेज की तरह पूरी खट्टर सरकार का कामकाज भी जाम : कुलदीप

हिसार,
केन्द्रीय कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य एवं विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि राज्य के परिवहन विभाग को निजी हाथों में सौंपने की भाजपा सरकार की रणनीति के खिलाफ रोडवेज कर्मचारी 12वीं बार हड़ताल के लिए मजबूर हुए। ये कर्मचारी इसलिए हड़ताल नहीं कर रहे कि इन्होंने अपने वेतन, भत्तों में इजाफा करवाना है। ये तो सरकार की उस हठधर्मिता के खिलाफ चक्का जाम करने को मजबूर हो रहे हैं, जिसके तहत परिवहन विभाग की हालत को सुधारने की बजाय इसका निजीकरण करने पर तुली हुई है।

कुलदीप बिश्नोई हांसी तथा हिसार में लोगों के सुख-दुख में शरीक होने के दौरान लोगों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने हिसार में जज कृष्णकांत की पत्नी के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया। पूरे प्रदेश में बार-बार चक्का जाम होने से दैनिक यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और उनकी जेबें भी ढीली होती हैं। जब किसी विभाग के कर्मचारी 12वीं बार हड़ताल के लिए मजबूर हो रहे हैं तो सोचिए उस प्रदेश की सरकार में बैठे हुक्मरान जनहितों के प्रति कितनी गंभीर हैं। जिस प्रकार से प्रदेश भर में बार-बार चक्का जाम हो रहा है, उसी प्रकार से अन्य स्तरों पर भी खट्टर सरकार का कामकाज भी ठप पड़ा हुआ है। राज्य में सरकार नाम की चीज नहीं बची। मनोहर लाल खट्टर जी किसी तरह अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। उन्हें पता है कि प्रदेश की जनता उनको दोबारा से सत्ता सौंपने वाली नहीं।

कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि झूठे आंकड़े पेश करने व खोखली घोषणाओं में इस सरकार का कोई भी मुकाबला नहीं है। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उनकी सरकार युवाओं को रोजगार दे रही है, जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है। खट्टर सरकार ने अपने पहले तीन साल के शासनल में 64063 विज्ञापित पदों के खिलाफ केवल 10,029 को नौकरिंया दी, जबकि भाजपा का चुनावी वादा था कि हर साल एक लाख नौकरियां देंगे। नोटबंदी व जीएसटी से राज्य के उद्योग धंधों पर इतना नकारात्मक असर पड़ा कि हजारों छोटे-मोटे उद्योग धंधे बंद हो गए, जिससे लाखों की संख्या में नौकरियां चली गई। रोजगार के नाम पर भाजपा ने युवाओं को पकोड़े बेचने की सलाह दे डाली।

खट्टर सरकार हरियाणा के इतिहास की सबसे विफल सरकार साबित हुई, जिसके चार साल के शासनकाल में राज्य में न तो कोई बिजली पावर प्लांट लगा, न कोई बाहर से बड़ा उद्योग धंधा ही स्थापित हुआ, जिससे युवाओं को रोजगार मिल सके, बिजली के दामों में बेहताशा वृद्धि हो गई, किसानों को फसल बीमा के नाम पर लूटा गया और न तो उन्हें खराब फसलों का मुआवजा मिला और न ही मंडियों में भाव, खाद, बीज के लिए किसान लाइन में लगते देखे गए, वहीं कर्मचारी वर्ग सड़कों पर उतरने को मजबूर हुआ।

इस दौरान निहाल सिंह मताना, रणधीर सिंह पनिहार, संजय गौतम, विनोद मेहता, देसराज सरपंच, अनिल क्वात्रा, पंकज कोचर, पृथ्वी चैनत, रामनिवास कौशिक, विवेक बेरवाल, प्रकाश सरपंच, शिव कुमार फौजी, राजबीर जांगड़ा, नवीन वत्स, रणधीर मलिक, संदीप सुलतानपुर, पवन तिवाल, सूरजमल भाटौल, हरीश वर्मा आदि उपस्थित थे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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