हिसार,
हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने कहा है कि प्रदेश के रोडवेज कर्मचारियों ने माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का सम्मान करते हुए 18 दिनों से चल रही हड़ताल को समाप्त किया है। अब सरकार का फर्ज बनता है कि वह भी न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हुए सौहार्दपूर्ण ढंग से बातचीत करें और कर्मचारियों को बरगलाने का प्रयास न करते हुए किलोमीटर स्कीम को रद्द करें।
एक संयुक्त बयान में तालमेल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य दलबीर किरमारा एवं रमेश सैनी ने कहा कि माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने त्योहारों के सीजन को देखते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जो आदेश दिये हैं, वे कर्मचारियों ने माने हैं लेकिन सरकार की मंशा इन आदेशों को ठेंगा दिखाने वाली है। उन्होंने गोहाना में दिये गऐ परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार के उस बयान में निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार निजी बसें चलाने के अपने निर्णय पर कायम है और 14 नवम्बर तक कर्मचारियों से कोई बातचीत नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि परिवहन मंत्री का बयान सीधे तौर पर उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना तथा तौहीन है। मंत्री को चाहिए कि वे संयम बरतें और उच्च न्यायालय से बड़ा बनने का प्रयास न करते हुए कर्मचारी संगठनों से बातचीत करें। उन्होंने कहा कि यदि परिवहन मंत्री अपने स्टेंड पर कायम है तो उन्हें यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि कर्मचारी भी अपने स्टेंड पर कायम है लेकिन प्रदेश का कर्मचारी जनता के प्रति अपनी जवाबदेही को भली-भांति समझता है जबकि सरकार में बैठे लोग जनता के प्रति कोई जवाबदेही नहीं समझ रहे हैं। ऐसे लोगों को समय आने पर कर्मचारी व जनता सबक सिखाएंगे।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा परिवहन विभाग में जनता की मांग की अनुरूप सरकारी बसों का बेड़ा बढ़ाने की बजाये प्राइवेट कंपनियों की बसें किराये पर लेने के निर्णय के खिलाफ रोडवेज कर्मचारियों की 18 दिन तक चली हड़ताल इतिहास में सबसे लंबी हड़ताल के रूप में जानी जाएगी। इस हड़ताल को प्रदेशभर के कर्मचारी संगठनों, जन संगठनों, राजनीतिक पार्टियों, छात्रों, ग्राम पंचायतों, परिषदों, खाप पंचायतों एवं आम जनता का भारी समर्थन मिला।
दलबीर किरमारा एवं रमेश सैनी ने कहा कि हड़ताल के दौरान एक बड़ी बात ये भी रही कि विभाग को बचाने के लिए रोडवेज कर्मचारियों ने सरकार को ऑफर दिया कि यदि सरकार के पास साधारण बसें खरीदने के लिए बजट की कमी है तो वे अपना तीन वर्षों का बोनस छोडऩे व एक माह का वेतन देने को तैयार हैं। कर्मचारियों के इस ऑफर ने उन लोगों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया जो हड़ताल के विरोध में थे। रोडवेज कर्मचारियों ने पुलिस की लाठियां, मुकदमे, निलंबन, बर्खास्तगी आदि तमाम दमनकारी नीतियों को झेलते हुए अपनी अपनी नौकरी तक दांव पर लगा दी, वहीं सरकार अपने खास चहेतों को फायदा पहुंचाने की मंशा से प्राइवेट स्कीम से पीछे न हटने पर अड़ी हुई थी।
त्योहारों के सीजन में जनता की तकलीफों को देखते हुए माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए रोडवेज यूनियनों का भी सौहार्दपूर्ण ढंग से पक्ष सुना और कर्मचारियों पर एस्मां के तहत निलंबन सहित सभी उत्पीडऩ की कार्रवाहियों पर रोक लगाने व कर्मचारियों की मांग को जायज ठहराते हुए सरकार को 12 नवम्बर को बातचीत के माध्यम से ईमानदारी से समाधान निकालने के आदेश दिये और 14 नवम्बर को कोर्ट में अगली सुनवाई तय की गई। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह 12 नवम्बर को कर्मचारी तालमेल कमेटी से बातचीत करके इस मामले का समाधान निकालें और उच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान करें।